भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 मई, 2013) को लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा राष्ट्रीय प्रगति, मानवीय सशक्तीकरण तथा सामाजिक परिवर्तन के लिए एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण कारक है। उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध हिंसा की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उनकी सुरक्षा तथा हिफाजत सुनिश्चित करने के कारगर उपायों की जरूरत है। इसी के साथ हमारे समाज में नैतिक हृस को भी रोकने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें मूल्यों में इस तरह की गिरावट पर तुरंत नियंत्रण करने के लिए उपाय ढूंढने होंने। उन्होंने आगे कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को, जिनके पास हमारे युवाओं के मस्तिष्क को दिशा देने की क्षमता है, हमारे नैतिक मूल्यों को फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया को शुरू करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता है तथा इसके लिए समय अभी है। उन्होंने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। प्रत्येक विश्वविद्यालय को एक ऐसे विभाग को चिह्नित करना चाहिए, जिसे उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया जा सके। उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालयें का आह्वान किया कि वे इस बदलाव का नेतृत्व करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा में बढ़ोत्तरी समावेशिता की दिशा में एक आवश्यक कदम है। इसे आर्थिक रूप से कठिन पृष्ठभूमि से आने वाले मेधावी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति, विद्यार्थी ऋण तथा दूसरे विद्यार्थी-सहायता उपायों के द्वारा वहनीय बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास यह होने चाहिएं कि हम शिक्षा प्रदान करने की नवान्वेषी तकनीकों का सहारा लेकर उच्च शिक्षा को अपनी जनता के और करीब ले जाएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे शिक्षक मौजूद हैं जो विद्यार्थियों को भिन्न परिप्रेक्ष्य से सोचने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक सर्वांगीण शिक्षा तथा नवीन चिंतन को प्रेरित कर सकते हैं। हमारे विश्वविद्यालयों को ऐसे ‘प्रेरित शिक्षकों’ को चिह्नित करने, तथा उन्हें कनिष्ठ शिक्षकों और विद्यार्थियों का मार्ग दर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करने में सफल होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे बहुत से जमीनी नवान्वेषण हैं जो प्रौद्योगिकी तथा वाणिज्यिक सहायता की कमी के कारण विपणन योग्य उत्पादों के रूप में विकसित होने से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों तथा उद्योग द्वारा जमीनी नवान्वेषकों के मार्गदर्शन से प्रौद्योगिकी को लोगों के करीब ले जाने में सहायता मिलेगी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने नवान्वेषकों की प्रर्दशनी तथा बीबीएयू नवान्वेषण क्लब का भी उद्घाटन किया। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ऐसा पहला केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसने नवान्वेषण से जुड़े ये दो तत्व स्थापित किए हैं। इस वर्ष, राष्ट्रपति भवन में कुछ समय पूर्व आयोजित कुलपति सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया था कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नवान्वेषण क्लब स्थापित किए जाएंग तथा क्षेत्रीय नवान्वेषकों की प्रर्दशनियां आयोजित होंगी। यह नवान्वेषण क्लब उस क्षेत्र में नवान्वेषण की खोज करेगा, उनका प्रसार करेगा, उनका अहसास करेगा तथा उत्सव का आयोजन करेगा, जिस क्षेत्र में बाबा साहब भीमराव अंबडेकर विश्वविद्यालय स्थित है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री बी.एल. जोशी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, श्री अखिलेश यादव तथा मानव संसाधान विकास राज्य मंत्री, श्री जितिन प्रसाद भी उपस्थित थे।
यह विज्ञप्ति 1545 बजे जारी की गई