भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 मई2014) झारखंड के धनबाद में भारतीय खनि विद्यापीठ के छत्तीसवें दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुये, राष्ट्रपति ने कहा कि विकास का लाभ सभी लोगों,खासकर सामाजिक-आर्थिक पायदान पर मौजूद पिछड़ों,को मिलना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को महत्व दिया जाना चाहिए और उसे अपनी व्यक्तिगत उन्नति के साथ-साथ,समग्र समाज की उन्नति में योगदान देने के लिए सक्षम बनाया जाना चाहिए। हमारी बहुत सी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान जमीनी स्तर पर किया जाना जरूरी है। भारत के लोगों में शानदार पटुता मौजूद है। उन्होंने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों का आह्वान किया कि वे आम आदमी के हित के लिए नवान्वेषण को प्रोत्साहन दें। उन्होंने कहा कि अनुसंधान में प्रगति से किसी भी विधा की सीमाओं के विस्तार में सहायता मिलती है। हमारी उच्च शिक्षण संस्थाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर गहन अनुसंधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय खनि विद्यापीठ दुर्लभ खनिज संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र में स्थित है। इस संस्थान को ऐसी प्रौद्योगिकियों के विकास पर प्रयास केन्द्रित करना चाहिए जो संसाधनों के खनन की दक्षता बढ़ा सकें। राष्ट्रपति ने उल्लेख किया कि एक महत्वपूर्ण सर्वेक्षण,भारतीय दक्षता रिपोर्ट 2014,से पता चलता है कि हमारे केवल 52प्रतिशत इंजीनियरी विद्यार्थी तथा हमारे कौशलप्राप्त पूल का केवल 34 प्रतिशत ही रोजगार पाने योग्य हैं। इस स्थिति में बदलाव आना चाहिए। हमें अपने स्नातकों की गुणवत्ता में सुधार के दृढ़ प्रयास करने होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय विश्व के सर्वोच्च विश्वविद्यालयों की सूची में नहीं है,परंतु हमें अपने संस्थानों की उपलब्धियों को उचित परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने की शुरुआत कर दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात कि खुशी है कि पिछले एकाध वर्षों में अच्छे परिणाम मिले हैं। क्यू एस नामक रेटिंग एजेंसी द्वारा की गई विषयवार विश्वविद्यालय रेटिंग के अनुसार मद्रास और बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को सिविल इंजीनियरी में और दिल्ली और बॉम्बे के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को इलैक्ट्रिकल इंजीनियरी में सर्वोत्तम 50 संस्थानों में स्थान मिला है। टाइम्स हाइयर एजुकेशन 2014 सर्वेक्षण द्वारा सर्वोच्च 100 विश्वविद्यालयों के सर्वेक्षण में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी को 87 वें स्थान पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस छोटे से कदम के साथ हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के पास कई खनिजों के पर्याप्त प्रमाणित संसाधनों की कमी है, जो आधुनिक औद्यौगिकीय अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य हैं। भारत के पास सोना, प्लेटिनम धातु समूह तथा निकेल जैसे दुर्लभ भू-तत्वों की कमी है। भारत की भौगोलिक संरचना अफ्रीकी और आस्ट्रेलियाई महाद्वीपों के समान है। उन्नत खानन तकनीकों के प्रयोग से, इन महाद्वीपों के समान भारत में भी खोज सामने आ सकती हैं। गहराई में स्थित निक्षेपणों की खोज और उनके खनन तथा खुदाई करने वाली जनशक्ति का प्रशिक्षण भारतीय खनि विद्यापीठ के प्रमुख कार्यों में शामिल होना चाहिए। यह हमारे देश में औद्योगिक विकास की निरंतरता की पहली शर्त होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय खनि विद्यापीठ को संसाधनों के संरक्षण की प्रक्रियाएँ अपनानी चाहिएँ जो विकास की निरंतरता की दिशा में प्रमुख कदम होगा। भारतीय खनि विद्यापीठ ने अपनी पाठ्यचर्या में निरंतरता की संकल्पना करके उसका प्रयोग शुरू किया है। विदेशी संस्थानों सहित,विभिन्न उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ संपर्क और सहयोग बढ़ाने का भारतीय खनि विद्यापीठ का प्रयास बहुत स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकार बहुत खुशी हुई है कि इस संस्थान ने अफगानिस्तान के पूर्व-स्नातक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने तथा कुछ ऐशियाई और अफ्रीकी देशों के सरकारी और औद्योगिक पेशेवरों को बड़ी संख्या में सतत शिक्षा प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाई है। उन्होंने भारतीय खनि विद्यापीठ का आह्वान किया कि वह राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क की शक्ति का पूरा उपयोग करें।
यह विज्ञप्ति 1640 बजे जारी की गई।