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भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों ने राष्ट्रपति से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 10.05.2016

भारतीय आर्थिक सेवा 2014 (II) बैच के अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों के एक समूह ने आज (10 मई, 2016) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे जिस सेवा में शामिल हुए हैं, उससे उन्हें अनेक वर्ष तक जनता और देश की सेवा करने का अवसर मिलेगा। उन्हें नीतियों के निर्माण में राजनीतिक कार्यकारियों को सलाह देनी होगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद सामान्य रूप से एक दक्ष आर्थिकविद द्वारा संभाला जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण स्पष्ट विचार और उद्देश्य के कारण एक अत्यंत सराहनीय दस्तावेज है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें भारत की उपलब्धियों पर गर्व है और वह इसकी प्राप्त की जा सकने वाली उपलब्धियों के प्रति आशान्वित हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 1951 से 1979 तक, भारत की औसत विकास दर 3.5 प्रतिशत थी। हमारी अर्थव्यवस्था में 1980 के दशक में 5 से 5.6 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई। 1991 के बाद से हमारी विकास दर 7 प्रतिशत तक बढ़ गई।

हमारी वर्तमान विकास दर लगभग 7.6 प्रतिशत है। परंतु हमें संतुष्ट नहीं बैठना है। हमें यदि अपने विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना है तो अगले 15-20 वर्षों तक अपनी विकास दर को वार्षिक रूप से 8.5 से 9 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा। इससे निर्धनता कम करने में नहीं बल्कि निर्धनता दूर करने में मदद मिलेगी।

राष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से कहा कि उनसे ऊंची उम्मीदें हैं और उनके युवा कंधों पर भारी दायित्व है। विश्व तेजी से दौड़ रहा है और भारत को इस दौड़ में बने रहना है। मौजूदा समय कम है परंतु भारत की शक्ति इसके प्रतिभावान लोगों में निहित है। भारत को नीति निर्माण की दिशा दिखाने के लिए सक्षम और ज्ञान सम्पन्न अधिकारियों की आवश्यकता है। उन्होंने उनसे अंत में अपने अपेक्षित बदलाव लाने के लिए कहा और महात्मा गांधी के प्रसिद्ध शब्दों को याद रखने की सलाह दी, ‘‘सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति का वह चेहरा ध्यान में रखें जिसे आप देख सकें और स्वयं से पूछिए कि आप जो कदम उठाने का विचार कर रहे हैं, क्या उसे उसका कोई लाभ मिलेगा।’’

यह विज्ञप्ति 1830 बजे जारी की गई