भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 जुलाई, 2013) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि वे न केवल अपने पेशे के लिए बहुमूल्य संपदा हैं वरन् हमारे देश की बौद्धिक संपत्ति भी हैं। वे एक प्राचीन सभ्यता से उत्पन्न नवीन राष्ट्र की शिक्षा प्रणाली की उपज हैं। उन्हें हमारे देश के लोकतांत्रिक आदर्शों को आत्मसात् कर लेना चाहिए। उन्हें न केवल हमारी राजव्यवस्था में प्रदत अधिकारों का उपयोग करना चाहिए बल्कि देश के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को भी सच्चे दिल से स्वीकार करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को यह याद दिलाया कि वे हमारे देश के सबसे मेधावी युवाओं में से हैं। हमारे देश के शासन तथा राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर उनकी रुचि होनी चाहिए। किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र की विशेषता समुचित सूचना पर आधारित सहभागिता होती है। उन्होंने विद्यार्थियों से खुद सूचना संपन्न होने और दूसरों को सूचना प्रदान करने के लिए कहा। उन्होंने विद्यार्थियों से यह भी आग्रह किया कि वे भारत के सुंदर, जटिल, प्राय: दुरुह और कभी-कभी शोरगुल-युक्त लोकतंत्र में सहभागिता करें। उन्हें ऐसे बेहतर नागरिक तैयार करने में देश की सहायता करनी चाहिए जो अपने अधिकारियों और उत्तरदायित्वों को समझते हों। उन्होंने विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे विश्व का नेतृत्व करें, वह परिवर्तन बनें जो वे विश्व में देखना चाहते हैं तथा भारत का गौरव बढ़ाएं।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा की प्राप्ति केवल कुछ ही भाग्यशाली लोगों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। हमारे देश के कोने-कोने में अच्छी गुणवत्तायुक्त शैक्षणिक संस्थानों की जरूरत है। आर्थिक रूप से कठिन पृष्ठभूमि से आने वाले मेधावी विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को वहनीय बनाने के लिए विद्यार्थी सहायता योजनाओं को संस्थागत रूप दिया जाना चाहिए। उच्च शिक्षा की अधिक सुगम्यता से अधिक से अधिक युवा इस प्रणाली में आ पाएंगे जिसके फलस्वरूप हमारी अर्थव्यवस्था के विकास केन्द्रों को सक्षम कार्मिक प्राप्त हो पाएंगे।
यह विज्ञप्ति 1820 बजे जारी की गई।