भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार 10 सितंबर 2012 को भारतीय उद्योग परिसंघ का आह्वान किया वह भारतीय अर्थव्यवस्था के उज्ज्वल भविष्य में उद्यमियों और कारोबार के प्रमुखों में आत्मविश्वास का संचार करे।
यह विश्वास व्यक्त करते हुए कि मिलजुल कार्य कर रहे भारतीय अपनी सभी मुश्किलों को दूर कर सकते हैं; राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि देश ने कठिन हालात का सामना किया है परन्तु उन्होंने दशकों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को निकट से देखा है और वह ‘अविजेय आशावादी’ हैं। उनका कहना था कि जब वह भारत के युवक और युवतियों का चेहरा और उनका अदम्य उत्साह देखते हैं तो उन्हें विश्वास हो जाता है कि भारत सभी कठिनाइयों पर विजय प्राप्त कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी पीढ़ी द्वारा युवा पीढ़ी के लिए स्थान खाली कर देना चाहिए। उन्होंने भारत के विकास में योगदान के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ की सराहना की और कहा कि अतीत में अनेक बार कठिन समय में भारतीय उद्योग परिसंघ के विचार और नजरिए ने आशा जगाई है।
राष्ट्रपति ने बाद में, विशेषकर भारत के उत्तर पूर्व के युवक और युवतियों को बधाई दी और सिविल सेवाओं, उद्योग प्रबंधन तथा उद्यमिता में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने उत्तर पूर्व के युवक-युवतियों के शानदार उदाहरण के तौर पर एम.सी.मैरी कोम का उल्लेख किया और कहा कि उनकी कहानी उभरते भारत की कहानी है। उन्हें देखकर, उन्हें विश्वास हो गया कि शीघ्र ही भारत सफलता प्राप्त करेगा।
यह विज्ञप्ति 2045 बजे जारी की गई