भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (10 दिसम्बर, 2012) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में मानव अधिकार दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित समारोह में भाग लिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा शानदार संविधान है तथा इसमें मानव अधिकारों के विभिन्न आयामों को कायम रखने के लिए अनेक ठोस कानून और नीतियां मौजूद हैं। परंतु यदि इनका पूरी भावना से कार्यान्वयन न किया जाए तो मानव अधिकारों के प्रबंधन के लिए इस विशाल विधिक ढांचे का कोई फायदा नहीं होगा। इसलिए हमें सामान्य जन के लिए कानून और संवैधानिक प्रावधानों को वास्तविकता में बदलने के प्रयासों पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने सरकार, न्यायपालिका, राष्ट्रीय आयोग जैसे संवैधानिक निकायों तथा सिविल समाज से आग्रह किया कि वे मानव अधिकारों के प्रोत्साहन और रक्षा के लिए भरसक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मानव अधिकार दिवस हमारे लिए उस यात्रा पर चिंतन करने का अवसर है जो हमने एक राष्ट्र के रूप में भारत के संविधान द्वारा निर्धारित पथ पर तय की है। हमें पाठ्यक्रम में विषय के रूप में शामिल करके मानव अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए। मानव अधिकार संस्कृति से हमारी राष्ट्रीय चेतना पैदा होगी।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई