भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज(11 मई 2013)विज्ञान भवन में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस में भाग लिया और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार प्रदान किए|
इस अवसर पर बोलते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि,वैश्वीकरण ने व्यवसाय के नियमों को पुनर्परिभाषित कर दिया है| उन्होंने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धामक वैश्विक बाजार में केवल वही कंपनियां बनी रहने की अपेक्षा कर सकती हैं जो अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक और लचीली हैं| उन्होंने आगे कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हममें प्रतिस्पर्धा करने,नवान्वेषण करने तथा समय पर सुपुर्दगी करने की क्षमता है| यदि हमारी प्रणालियाँ सुदृढ़ और मजबूत होंगी तो विश्व हमारा सम्मान करेगा और हमारे साथ कार्य के लिए तैयार रहेगा| उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इस वर्ष का विषय`नवान्वेषण-कुछ बदलाव के लिए` समयानुकूल और उपयुक्त है|
राष्ट्रपति ने कहा कि नवीन ज्ञान अर्थव्यवस्था में,भारत की भावी,अधिक से अधिक नूतन विचारों,नवीन प्रक्रियाओं तथा समाधानों पर निर्भर करेगी| उन्होंने आगे कहा कि नवान्वेषण की प्रक्रिया ज्ञान को सामाजिक कल्याण और आर्थिक समृद्धि में बदल देगी| वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में भारत को अपनी क्षमता,उत्पादकता,दक्षता और समावेशी विकास को प्रोत्साहन देने के लिए नवान्वेषण की अपनी क्षमता का उपयोग करना होगा|
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी लोकतान्त्रिक राजव्यवस्था की जरूरतें और अपेक्षाएँ अन्य देशों से अलग हैं| उन्होंने आगे कहा कि नवान्वेषण संबंधी हमारी प्राथमिकताएं हमारी सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप होनी चाहिएँ| अतः भारतीय नवान्वेषण संबंधी कार्यनीति कुछ अलग होनी चाहिए| इसमें ऐसे विचारों को सृजित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो समावेशी विकास को बढ़ावा दें और सामाजिक-आर्थिक पायदान पर सबसे नीचे मौजूद लोगों को लाभ पहुंचाए| उन्होंने आगे कहा कि सतत विकास के लिए कार्यनीति बनाने के लिए हमें समावेशी नवान्वेषण पर ध्यान केंद्रित करना होगा|
राष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा कि विचारों में नवान्वेषण,प्रयासों में नवान्वेषण तथा सर्वव्यापी नवान्वेषी भावना से ही तेजी से बदलते ऐसे विश्व में हमारी स्थिति और हैसियत बनी रह सकती है,जिसमें रोज प्रौद्योगिकी पुरानी पड़ जाती है|
इस अवसर पर केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री,श्री एस.जयपाल रेड्डी,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव,डॉ.टी.रामासामी,वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सचिव तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के महा निदेशक,प्रो.एस.के.ब्रह्माचारी भी उपस्थित थे|
यह विज्ञप्ति 1335 बजे जारी की गई