भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने मास्को में कल (10मई, 2015) रूस में भारतीय संस्कृति महोत्सव ‘नमस्ते रूस’ का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति तथा कला, संगीत और सिनेमा की इसकी धरोहर ने सदियों के दौरान पूरे रूस में प्रेम तथा सराहना पाई है। भारत में भी बैले, साहित्य तथा परंपराओं में प्रदर्शित रूसी संस्कृति के प्रति बहुत गर्मजोशी तथा सम्मान है। रूस के जेरासिम लेबदेव, जो कि नि:संदेह यूरोप के प्रथम भारतविद् थे, ने कोलकाता में 220 वर्ष पहले बंगाली थियेटर की शुरुआत की थी।
राष्ट्रपति ने कहा कि रूस के सांस्कृतिक मंत्रालय के सहयोग से ‘नमस्ते रूस’ अगले छह माह के दौरान रूस के विभिन्न इलाकों तक पहुंचेगा। पूरे रूस में भारतीय लालित्य कलाओं के प्रति रूचि को देखते हुए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद रूस में क्षेत्रीय केंद्रों में संगीत और नृत्य के भारतीय शिक्षक भेजेगी। इस प्रयास से रूस के विभिन्न इलाकों में रह रहे लोगों को समकालीन तथा प्राचीन भारतीय संस्कृति के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ करने में सहयोग मिलेगा। यह भी जरूरी है कि दोनों देशों के युवाओं को इन सांस्कृतिक आदान-प्रदानों में सहभागिता के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हो रही है कि ‘नमस्ते रूस’ के प्रतीक चिह्न का डिजायन रूस के क्रास्नोयारस्क शहर के एक युवा रूसी ने तैयार किया है जिसने भारतीय और रूसी प्रतिभागियों के साथ प्रतियोगिता में भाग लेकर सफलता प्राप्त की।
यह विज्ञप्ति 0700 बजे जारी की गई।