भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के क्यू एस ब्रिक्स विश्वविद्यालय वरीयता 2015 में सर्वोच्च 200 संस्थानों में पांचवां स्थान प्राप्त करने तथा 31 भारतीय संस्थानों के इस वरीयता आने पर प्रसन्नता व्यक्त की है।
वह आज (11 जुलाई 2015) राष्ट्रपति भवन में भारतीय शैक्षिक वरीयता और श्रेष्ठता केंद्र के अध्यक्ष, श्री मोहनदास पई की ओर से क्यू एस ब्रिक्स विश्वविद्यालय वरीयता में भारत के प्रदर्शन का विस्तृत विश्लेषण सुनने के बाद बोल रहे थे। भारतीय शैक्षिक वरीयता और श्रेष्ठता केंद्र वैश्विक वरीयता मापदंडों की बेहतर समझ के लिए भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की मदद तथा वैश्विक वरीयता प्रक्रिया में उनकी सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित कर रहा है।
श्री पई ने राष्ट्रपति को सूचित किया कि भारतीय विज्ञान संस्थान न केवल सभी ब्रिक्स राष्ट्रों के विश्वविद्यालयों में पांचवें स्थान पर है बल्कि प्रति संकाय शोध पत्रों के संदर्भ में क्यू एस ब्रिक्स वरीयता में 2014में 20 से ऊपर उठकर 2015 में ब्रिक्स राष्ट्रों में प्रथम स्थान पर भी है। उन्होंने बताया कि 31 भारतीय संस्थानों ने सर्वोच्च 200संस्थानों में स्थान हासिल किया है। सर्वोच्च 400 संस्थानों में भारत के 94 संस्थान शामिल हैं। प्रदर्शन में इस अधिकांश सुधार के लिए भारत के विश्वविद्यालयों की ओर से और बेहतर ढंग से दिए गए आंकड़े जिम्मेदार रहे हैं। भारत में अभी भी आंकड़ा संग्रहण सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। 50 विश्वविद्यालयों ने निरंतर कार्यवाही और अनुरोध के बावजूद पूरे आंकड़े उपलब्ध नहीं करवाए।
इस प्रस्तुति के बाद, राष्ट्रपति ने कहा कि यह उनके तथा राष्ट्रपति भवन के उनके सहयोगियों के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। विगत ढाई वर्षों के दौरान उन्होंने करीब 100 शैक्षणिक सभाओं से वैश्विक वरीयता में अपना स्थान सुधारने का आग्रह करते हुए उन्हें संबोधित किया। भारत के विद्यार्थी और शिक्षक दोनों विशिष्ट और सहज प्रतिभा से संपन्न हैं और उन्हें प्रगति के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए। हरगोबिंद खुराना, एस. चंद्रशेखर, डॉ. अमर्त्य सेन और वी रामकृष्णन जैसे नोबेल विजेताओं ने उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने से पूर्व भारतीय विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर अध्ययन किया है। हमारे संस्थान कभी-कभी इस दिशा में लापरवाह होते जाते हैं और यह मानने लगते हैं कि वे जो कर रहे हैं सारी दुनिया उसे जानती है। यदि वे अपनी इस मानसिकता को त्याग दें तो कमाल कर सकते हैं। विश्व को यह बताना जरूरी है कि उनकी उपलब्धियां क्या हैं।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि विशाल संख्या में केन्द्रीय विश्वविद्यालयों ने शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने, नवान्वेषण क्लब स्थापित करने,प्रेरित शिक्षकों का नेटवर्क तैयार करने के लिए कदम उठाने की उनकी अपील पर ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय में सर्वोत्तम बनने की क्षमता है बशर्ते की वे गुणवत्ता सुधारने के कार्य में लग जाएं तथा नियमित रूप से वरीयता एजेंसियों को संबद्ध सूचनाएं भेजते रहें। राष्ट्रपति ने कहा कि वह राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का प्रयोग करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अगस्त माह में उच्च शिक्षा संस्थानों के विद्यार्थियों और संकाय से संवाद करना चाहेंगे।
भारत के राष्ट्रपति सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों,भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थानों, भारतीय विज्ञान संस्थान तथा भारतीय समुदी विश्वविद्यालय सहित 114 उच्च शिक्षा संस्थानों के कुलाध्यक्ष हैं। कुलाध्यक्ष के रूप में, राष्ट्रपति ने पद संभालने के बाद से 99संस्थानों का दौरा किया है। उन्होंने विगत 3 वर्षों के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलापतियों के तीन सम्मेलन, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के निदेशकों के दो सम्मेलन तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के अध्यक्षों, शासी परिषदों तथा निदेशकों का एक सम्मेलन भी आयोजित किया है। राष्ट्रपति ने स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने तथा विश्व भर की सर्वोत्तम परिपाटियों को अपनाने के लिए प्रेरित करने हेतु सर्वोत्तम केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के लिए कुलाध्यक्ष पुरस्कार आरंभ किए हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति ने हमारे विश्वविद्यालयों में शिक्षा और अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए अपने शिष्टमंडल के भाग के रूप में अपनी सभी विदेशी यात्राओं में शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों को शामिल किया है।
यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।