भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (11 नवंबर, 2014) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म जयंती के उपलक्ष में विज्ञान भवन में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा दिवस समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस एक खुशी का दिन है, जिस दिन हम भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जन्म जयंती मनाते हैं। मौलाना आज़ाद स्वतंत्र भारत के प्रमुख शिक्षा-शिल्पी थे। शिक्षा मंत्री के रूप में उनके सामने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली तैयार करने का चुनौतीपूर्ण कार्य था जो उस राष्ट्रीय भावना का विकास करे जो उपनिवेशवादी व्यवस्था में मौजूद नहीं थी। उन्होंने शिक्षा पाठ्यचर्या में तार्किक नजरिए तथा जिज्ञासा की भावना का समावेश करने वाली प्रणाली की शुरुआत की। राष्ट्रपति ने मौलाना आज़ाद को एक संस्था निर्माता बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान तथा अन्य संस्थाओं की उत्पत्ति का श्रेय उनके अथक प्रयासों को जाता है। उन्होंने भारत में सामाजिक-धार्मिक तथा सांस्कृतिक संपर्कों की स्थापना के लिए ललित कला अकादमी,संगीत नाटक अकादमी तथा साहित्य अकादमी जैसी कई संस्थाओं की स्थापना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा से ही बेहतर राजनीतिक सहभागिता, सामाजिक मुक्ति तथा उत्तरोत्तर आर्थिक उत्थान तीनों तरह की प्रगति हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम पचास के दशक की शुरुआत में चार में से एक बच्चे के स्कूल में होने की स्थिति से काफी आगे निकलकर आज हर बच्चे के लिए स्कूल तथा लगभग सभी के लिए शिक्षा तथा लैंगिक समानता के दौर में पहुंच चुके हैं। हाल ही में शिक्षा पर हमारा व्यय वर्ष 2008-09 के 2.7 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद से बढ़कर 2013-14 में 3.3 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। मौलाना आज़ाद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘स्कूल ऐसी प्रयोगशालाएं हैं जो राष्ट्र के भावी नागरिक पैदा करते हैं। इसलिए राष्ट्र की गुणवत्ता इस प्रकार की प्रयोगशालाओं की गुणवत्ता पर निर्भर है’’। सभी को शिक्षा के साथ ही सभी को अच्छे स्तर की शिक्षा भी प्रदान की जानी चाहिए। हमारे शैक्षणिक कार्यक्रम विस्तार, समता तथा उत्कृष्टता के तीन गुणों से प्रेरित होने चाहिए। हमें अभिगम प्रक्रियाओं और परिणामों के लिए मानक तथा निष्पादन मापदंड स्थापित करने होंगे तथा उन्हें सभी स्कूलों में कड़ाई से लागू करना होगा। हमें अपने स्कूलों में स्वच्छ पर्यावरण को प्रोत्साहित करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि ‘‘स्वच्छ भारत : स्वच्छ विद्यालय’’ अभियान प्रत्येक स्कूल में समुचित रखरखाव के साथ पानी, सफाई तथा स्वच्छता सुविधाओं को सुनिश्चित करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा प्रदान करने में प्रौद्योगिकी के प्रयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है। तेजी से डिजीटल होते विश्व में पढ़ाने तथा शिक्षण अभिगम ढांचों में भारी बदलावों को लाने की क्षमता है। नई प्रौद्योगिकी को अपनाने के हमारे प्रयास अभी आरंभिक अवस्था में हैं। हमारे पास नष्ट करने के लिए समय नहीं है। हमें अपने उन्नत प्रौद्योगिकी संस्थानों तथा सूचना प्रौद्योगिकी में अपने अग्रणी होने का लाभ उठाना होगा। इसी के साथ हमें डिजीटल रूप से ‘सक्षम’ और ‘अक्षम’ व्यक्तियों के बीच अंतराल को पाटना होगा। सर्वशिक्षा अभियान में, जिसमें कंप्यूटर शिक्षा के माध्यम से डिजीटल अंतराल को समाप्त करने की परिकल्पना है, को ‘डिजीटल भारत’कार्यक्रम के साथ संपर्कों को बढ़ावा देना होगा जिसमें डिजीटल सक्षम ज्ञानवान समाज का निर्माण करने के लिए डिजीटल अवसंरचना की परिकल्पना की गई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का एक महती उद्देश्य व्यक्ति तथा राष्ट्र में बदलाव लाना है। भारत में विश्व की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है। यह हमारे नीति निर्माताओं के समक्ष उनको प्रासंगिक ज्ञान तथा कौशल से सुसज्जित करते हुए युवा शक्ति का उपयोग करने की एक चुनौती तथा एक अवसर दोनों है। आधुनिक शिक्षा प्रतिस्पर्धात्मकता तथा उपयोगितावाद का बढ़ावा देती है। परंतु इसे ऐसी पीढ़ी का बिल्कुल भी निर्माण नहीं करना होगा जो समाज को प्रभावित करने वाली समस्याओं को अनदेखा कर दे। युवाओं को राष्ट्र निर्माण में बढ़-चढ़कर सहभागिता करनी चाहिए। उन पर सफाई, पेयजल, ऊर्जा, दूरदराज के इलाकों तक पहुंच, जन स्वास्थ्य आदि ज्वलंत समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने की जिम्मेदारी है। हमारे शिक्षा संस्थानों पर यह उत्तरदायित्व है कि वे देश के भविष्य में अपने स्वामित्व की भावना तथा भारत को और अधिक ऊंचाई की ओर ले जाने की जिम्मेदारी का समावेश करें। इसी के साथ उनमें देशभक्ति, करुणा, ईमानदारी, अनुशासन तथा महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे उन मूल्यों का समावेश करना भी जरूरी है जो मानव समाज तथा हमारी प्राचीन सभ्यता का आदर्श रहे हैं। मौलाना आज़ाद ने छह दशक पूर्व शिक्षा प्रणाली में भारी बदलाव किए थे। अब फिर से वह समय आ गया है कि हम इसको सशक्त करें तथा वास्तविक बदलाव लाएं। आइए, इस राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हम इसे पूर्ण करने की शपथ लें।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने ‘अपने कॉलिज को जानें’पोर्टल तथा ‘उन्नत भारत अभियान’ का शुभारंभ किया। इसी कार्यक्रम में दो छात्रवृत्ति योजनाओं—सक्षम एवं प्रगति—का भी शुभारंभ हुआ। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा विकसित कौशल मूल्यांकन तंत्र को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा जारी करके उसकी प्रथम प्रति राष्ट्रपति को प्रस्तुत की गई।
यह विज्ञप्ति 1600 बजे जारी की गई।