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न्यायिक सुधार हमारी तेजी से रूपांतरित होती उस दुनिया में केंद्रीय विषय होना चाहिए, जिसमें हम रहते हैं; राष्ट्रपति ने कहा

राष्ट्रपति भवन : 12.01.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (12 जनवरी, 2012) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में न्यायिक सुधारों में ताजा रुझान पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि न्यायिक सुधार, हमारी इस तेजी से रूपांतरित होती दुनिया में केंद्रीय विषय होना चाहिए, जिसमें हम रहते हैं। उन्होंने कहा कि यह न्याय की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनिवार्य है, जो कि मानव के अस्तित्व तथा समाज के कल्याण के लिए सबसे जरूरी है और यह सीधे सभी समाजों का मूलभूत लक्ष्य है। उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि मानव सभ्यता निष्पक्षता तथा समता के उच्चतर मानकों को प्राप्त करने के लिए लगातार संघर्षरत है। यह प्रयास समय से परे है तथा विभिन्न समाज एक दूसरे से न्याय के उच्चतर मानदंड प्राप्त कर रहे हैं तथा इस तरह से आमतौर से कानून और प्रक्रियाओं पर नई-नई परिपाटियां ग्रहण कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे न्यायिक प्रणाली में सुधार लागू करने की दिशा में राह निकालने की अपनी न्यायपालिका की क्षमता में पूरा भरोसा है, जिससे न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में आम आमदी का भरोसा बना रहे। उन्होंने कहा कि न्यायिक सुधार एक निरंतर प्रक्रिया है और स्टेकधारकों के बीच निरंतर विचार-विमर्श के द्वारा बदलाव लाने के लिए सर्वसम्मति लाई जा सकती है।

यह विज्ञप्ति 1320 बजे जारी की गई