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राष्ट्रपति जी ने ‘गांधी जी के सपनों का स्वच्छ एवं समर्थ भारत’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति भवन : 12.03.2015

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (12 मार्च 2015) नई दिल्ली में गांधी जी के सपनों का स्वच्छ एवं समर्थ भारतविषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि गांधी जी का स्वप्न हमारा स्वप्न है;उनकी परिकल्पना से हमें एक स्वच्छ, हरित तथा आत्मनिर्भर भारत की मौजूदा चुनौतियों से निपटने में मार्गदर्शन मिलना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमने हाल ही में दो महत्वपूर्ण पहलें (1) गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती के मौके पर 2 अक्तूबर 2019 तक भारत को स्वच्छ बनाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन, तथा (2) अपने राष्ट्र की विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत-में-निर्माण अभियान,शुरूकी हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि गांधी जी ने स्वच्छता के तीन आयामों की परिकल्पना की थी - एक स्वच्छ मन, एक स्वच्छ शरीर तथा स्वच्छ वातावरण। वह मानते थे कि स्वच्छता पूजा के समान हैऔर कहते थे कि, ‘हम अस्वच्छ मन के समान ही अस्वच्छ शरीर से ईश्वर का आशीर्वाद नहीं पा सकते। एक स्वच्छ शरीर अस्वच्छ नगर में निवास नहीं कर सकता।

राष्ट्रपति ने कहा कि स्वच्छता की स्थिति की प्राप्ति के लिए सफल कार्यनीति में नागरिकों की सहभागिता, अपशिष्ट कम करने की दिशा में प्रयास तथा अपशिष्ट के प्रसंस्करण में सुधार शामिल होंगे।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-में-निर्माण अभियान में आत्मनिर्भर तथा उत्पादक भारत के गांधी जी के स्वप्न को सच्चाई में बदलने की परिकल्पना की गई है। इसका लक्ष्य, निवेश को सुगम बनाकर, नवान्वेषण को बढ़ावा देकर, कौशल विकास को प्रेरित करके तथा सर्वोत्तम अवसंरचना स्थापित करके भारत को आर्थिक विकास के सभी मोर्चों पर समर्थ बनाना है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में एक विश्वस्तरीय विनिर्माण ढांचे को स्थापित करने के लिए एक व्यापक कार्यनीति की जरूरत है। इस दिशा में प्रयासों में सहयोगात्मक सरकारी व्यवस्था, स्मार्ट शहरों तथा औद्योगिक क्लस्टरों का निर्माण; युवाओं में विशेषज्ञ कौशलों का विकास तथा बेहतर संयोजकता के लिए एकल मालवाहक गलियारों की स्थापना शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण तथा नई प्रौद्यागिकी में अग्रणी चुनिंदा स्वदेशी कंपनियों का चयन करके उन्हें वैश्विक व्यवसाय की ओर उन्मुख करना चाहिए। उन्नत तथा पर्यावरण उन्मुख विनिर्माण कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का महत्पूर्ण हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। कुल मिलाकर, ‘भारत-में-निर्माणकार्यक्रम से इस नजरिये में बदलाव लाया जाना चाहिए कि भारत किस तरह निवेशकों से संपर्क बनाता है; एक परमिट जारी करने वाले प्राधिकारी की तरह नहीं बल्कि एक सच्चे व्यावसायिक साझीदार की तरह।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को सुसज्जित करने के सुव्यवस्थित प्रयासों से स्वच्छ और समर्थ भारत के गांधी जी के स्वप्न को साकार करने में सहायता मिलेगी इसमें प्रमुख स्टेक धारकों सहित, समाज के बड़े तबके की सहायता और सहयोग जरूरी है। गांधी जी का स्वप्न सदियों के दौरान प्राप्त ज्ञान तथा मेधा के प्रकाश से अवलोकित था। इसलिए उन लोगों के कंधों पर इस बदलाव में प्रमुख भूमिका निभाने की भारी जिम्मेदारी है जो उनके स्वप्न को समझते हैं।

यह विज्ञप्ति1400 बजे जारी की गई।