भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (12 मई, 2016) वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में भाग लिया तथा शताब्दी सम्बोधन दिया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि 2030 तक भारत की आधी से अधिक जनसंख्या कामकाजी वर्ग में होगी। तथाकथित जनसांख्यिकी लाभ दोधारी तलवार की भांति है। हमारी विशाल कार्यबल पूंजी भी हो सकती है और बोझ भी हो सकती है। यदि हम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रदान करें तो यह एक पूंजी होगी। यदि हम अपने युवाओं की रोजगार योग्यता को बढ़ाएंगे तो हम विश्व को कार्यबल के आपूर्तिकर्ता बन सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनुसंधान और नवान्वेषण को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना होगा। यह आवश्यक है कि हमें अनुसंधान और विकास तथा हमारे उच्च शिक्षा के अपने संस्थानों में भरपूर निवेश करना होगा। ऐसे निवेश से भारत विश्व के अग्रणी देशों की पंक्ति में शामिल हो सकता है।
राष्ट्रपति ने इस अवसर पर, पंडित मदन मोहन मालवीय को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि भारत रत्न पंडित मालवीय भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सर्वोच्च नेताओं में से एक हैं। उन्होंने कहा कि महामना ने काशी में विश्वविद्यालय स्थापित करने का बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लिया क्योंकि यह नगर केवल एक भौगोलिक प्रतिबिंब नहीं बल्कि एक ऐसा नाम है जो मन में एक ऐसे स्थान की याद दिला देता है जिसने सभ्यता के विकास को प्रोत्साहित किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मालवीय जी ने राष्ट्र निर्माण में योगदान करने वाले पेशेवर रूप से प्रशिक्षित वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनीतिक विचारकों, दार्शनिकों तथा शिक्षाविदों का समूह तैयार करने के लिए एक विश्वविद्यालय की आवश्यकता को पहले ही देख लिया था। वह चाहते थे कि विद्याथी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करें तथा साथ-साथ हमारी समृद्ध स्वदेशी संस्कृति और ज्ञान के साथ गहरा सम्पर्क बनाए रखें।
राष्ट्रपति ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की, लगभग 32000 विद्यार्थियों के साथ शिक्षा के एक महान केन्द्र, जिसमें से आधे कैम्पस में रहते हैं और जिससे यह एशिया का सबसे विशाल आवासीय विश्वविद्यालय बन गया है, बदलने के लिए प्रशंसा की। उन्होंने इसके भवन के शिल्पकला सौंदर्य, कैम्पस की हरियाली तथा इस सच्चाई के लिए भी सराहना की कि यह सांसारिक प्रगति और आत्मिक विकास दोनों की शिक्षा प्रदान करता है।
यह विज्ञप्ति 2050 बजे जारी की गई