राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के 54वें एनडीसी पाठ्यक्रम के अधिकारियों ने अपनी पत्नियों/पतियों के साथ आज (12नवम्बर 2014) राष्ट्रपति भवन में, भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
अधिकारियों को संबोधित करते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि किसी भी राष्ट्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितने प्रभावी ढंग से अपने पास उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करता है, जिसमें मानव संसाधन सबसे प्रमुख है। भारत का राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज, जहां न केवल सशस्त्र सेनाओं बल्कि सिविल सेवाओं तथा विदेशी मित्र देशों के वरिष्ठ अधिकारियों को इस कार्यक्षेत्र का ज्ञान प्रदान किया जाता है, प्रभावी ढंग से मानव संसाधनों के विकास का कार्य भी करता है। उनके कौशल को, राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों से सार्थक ढंग से निपटने के योग्य बनाने के लिए पैना किया जाता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्य मामलों में क्रांतिकारी बदलावों तथा वैश्वीकरण के कारण सैन्य बलों की भूमिका का विस्तार हो गया है। यह स्पष्ट है कि जटिल रक्षा और सुरक्षा माहौल में भावी संघर्षोें के लिए एक अधिक समेकित बहुराष्ट्रीय एवं बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। भावी सुरक्षा वातावरण से निपटने के लिए सैन्य प्रमुखों, पुलिस अधिकारियों तथा सिविल सेवाओं की तैयारी पर समग्र और व्यापक तरीके से ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पाठ्यक्रम इन अधिकारियों को सुरक्षा मुद्दों के बारे में विवेकपूर्ण और तर्कसंगत निर्णय लेने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने प्रत्येक वर्ष पाठ्यक्रम संचालन के लिए राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज को बधाई भी दी।
यह विज्ञप्ति1330 बजे जारी की गई।