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खाद्य सुरक्षा की नई चुनौतियों के लिए मजबूत प्रतिरोधक और उपचारात्मक क्षमता निर्मित करना जरूरी, राष्ट्रपति ने कहा

राष्ट्रपति भवन : 12.12.2012

भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (12 दिसम्बर, 2012) को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा आयोजित ‘खाद्य सुरक्षा - मानकों की भूमिका’ पर राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण से खाद्य व्यापार में काफी तेजी आई है जिससे खान-पान के पैटर्न, उत्पादन तरीकों और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों में बदलाव आया है। परंतु इसके साथ-साथ माइक्रोबायलोजीकल और रासायनिक खतरों के तेजी से सीमा पार अन्तरण का भी नया जोखिम पैदा हो गया है। उनका कहना था कि इससे खाद्य सुरक्षा के समक्ष नई चुनौतियां आ गई हैं और हमारी जनसंख्या के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए संभावित खतरों हेतु मजबूत प्रतिरोधक और उपचारात्मक क्षमताओं को निर्मित करने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी आबादी की निरंतर बढ़ती खाद्य जरूरत को पूरा करने की चुनौती के लिए हमारी कृषि, कृषि व्यापार और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों में भारी निवेश और नवान्वेषण की आवश्यकता है। उपयुक्त प्रौद्योगिकी का उन्नयन आवश्यक है परंतु भारतीय जलवायु और सम्बद्ध भौतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों के तहत खाद्य सुरक्षा नियंत्रण पर पूर्ण ध्यान देते हुए खाद्य अनुसंधान के साथ-साथ सुरक्षित कृषि तरीकों, आधुनिक प्रजनन तरीकों को अपनाया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर ‘इंडियन स्टैंडर्ड स्ट्रीट फूड वेंडर्स - फूड सेफ्टी रिक्वायरमेंट’ पुस्तक की प्रथम प्रति भी स्वीकार की।

केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और जन वितरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. के.वी. थॉमस, राज्य सभा के संसद सदस्य प्रो. एम.एस. स्वामीनाथन, उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव श्री पंकज अग्रवाल, भारतीय मानक ब्यूरो के महानिदेशक श्री अफज़ल अमानुल्ला भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

यह विज्ञप्ति 1315 बजे जारी की गई