भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (13 फरवरी, 2016) नई दिल्ली में वर्ष 2015के इन्फोसिस पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने इन्फोसिस पुरस्कारों के विजेताओं को बधाई दी और कहा कि उनके अनुसंधान एक विकसित, सक्षम और सतत विश्व के लिए धरातल तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्फोसिस जैसे पुरस्कार विश्वभर के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों द्वारा किए जा रहे महत्वपूर्ण अनुसंधान को सम्मानित करने का एक अहम प्रयास है। अग्रणी अनुसंधान को उत्कृष्टता प्रदान करके, इन्फोसिस विज्ञान प्रतिष्ठान युवा वैज्ञानिकों में सफल नवान्वेषण के प्रयासों को आगे बढ़ा रहा है। नवान्वेषण राष्ट्र और समग्र समाज के आर्थिक विकास का अभिन्न अंग है। इन्फोसिस पुरस्कार हमारे देश के नवान्वेषण वातावरण के प्रोत्साहन में इन्फोसिस पुरस्कार अत्यंत लाभप्रद होंगे तथा इससे युवा वास्तविक जगत की समस्याओं को हल करने के लिए प्रेरित होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी 64 प्रतिशत कार्यशील आयु समूह आबादी के साथ 2020 तक विश्व का सबसे युवा देश बनने वाला है। यह जनसांख्यिकीय क्षमता भारत और इसकी बढ़ रही अर्थव्यवस्था को असाधारण फायदा पहुंचा रही है जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय योगदान मिल सकेगा। हमारे देश के युवाओं को अपने चुने हुए क्षेत्रों में नवान्वेषण करने के लिए निरंतर प्रोत्साहन की आवश्यकता है। इन्फोसिस पुरस्कार विजेताओं की अद्वितीय यात्रा से युवाओं को अनुसंधान करने तथा राष्ट्रीय प्रगति में भागीदार बनने की प्रेरणा प्राप्त होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का भविष्य उस प्रगति के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ जिसे हम अपने देश में वैज्ञानिक अनुसंधान की सुदृढ़ नींव की स्थापना करने के लिए कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी प्रगति के संबंध में विश्व के निरंतर नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए हमें तय करना होगा कि हमारे युवाओं को एक ऐसा सहायक वातावरण, शिक्षा प्रणाली सुलभ हो जिससे उन्हें अपनी अनुसंधान दक्षता का तथा उद्योग परामर्शकों के व्यापक नेटवर्क प्रयोग करने में मदद मिले।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक उत्कृष्टता मानवता के प्रति सरोकार द्वारा प्रोत्साहित की जानी चाहिए। गांधीजी मानते थे कि यदि विज्ञान तकनीकी और प्रौद्योगिकी बन जाएगा तो इससे मनुष्य शीघ्र मानवता के विरुद्ध हो जाएगा। प्रौद्योगिकियां विज्ञान के उदाहरणों से उत्पन्न होती है। यदि प्रौद्योगिकी में मानवीय उद्देश्य की समझ कम होगी तो, हम अपने ही तकनीकी ज्ञान के शिकार बन जाएंगे।
यह विज्ञप्ति 1935 बजे जारी की गई।