भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (13 मई, 2013) गुवाहाटी में पांडु कॉलेज के स्वर्ण जयंती समारोहों के समापन कार्यक्रम में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा प्रणाली सुलभता, वहनीयता तथा गुणवत्ता के स्तंभों पर निर्भर करती है। उच्च शिक्षा संस्थानों में भारी वृद्धि हुई है। इस समय हमारे देश में 650 से अधिक उपाधि प्रदान करने वाले संस्थान तथा 33000 से अधिक कॉलेज हैं। इसके बावजूद गुणवत्ता तथा संख्या दोनों की कमी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने उच्च शिक्षा के घटते स्तर का उल्लेख ‘ऐसा मौन संकट जो गहराई तक व्याप्त है’ के रूप में किया है। हमें कम से कम अपने कुछ अकादमिक संस्थानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वोत्तम संस्थानों में शामिल करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा की जो मांग पूरी नहीं हो पा रही है, उसे पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। इस दिशा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के द्वारा शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसके द्वारा शहरी क्षेत्रों से बहुत दूर स्थित संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को महत्त्वपूर्ण व्याख्यानों को संप्रेषित करते हुए सहयोगात्मक सूचना आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत से शैक्षणिक संस्थानों के संचालन में शिक्षकों की कमी से बाधा आती है। हमारे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बहुत से संकाय पद खाली पड़े हैं। जहां इन रिक्तियों को भरना उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, हमें ई-क्लासरूम जैसे नवान्वेषी प्रौद्योगिकीय समाधानों को शुरू करके इस संकट से निपटना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने देश में अनुसंधान एवं विकास को पुन: सुदृढ़ करना होगा। दुर्भाग्यवश, अनुसंधान को प्राथमिक विकल्प नहीं दिया जाता और इसमें उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों में से केवल 0.4 प्रतिशत विद्यार्थी जाते हैं। अनुसंधान के लिए एक स्वस्थ माहौल को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।
यह विज्ञप्ति 1920 बजे जारी की गई