भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (16 जुलाई, 2013) नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर, पूसा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 85वें स्थापना दिवस का व्याख्यान दिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हमें बारहवीं योजना अवधि के लिए निर्धारित कृषि वृद्धि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उच्चतर उत्पादकता स्तर प्राप्त करने होंगे। हमें फसलों के विविधीकरण, बीज बदलाव दर में सुधार, उच्च उत्पादकता वाले शंकर बीजों की शुरुआत तथा जल प्रबंधन उपायों में सुधार जैसे उत्पादकता बढ़ाने वाले उपायों पर अधिक जोर देना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे कृषक समुदाय के बीच कृषि शिक्षा तथा प्रसार कार्यक्रमों के द्वारा उर्वरकों तथा कीटनाशकों के संतुलित प्रयोग की जरूरत का प्रचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्य कृषि संस्थान, उर्वरकों के दक्षतापूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के कार्य में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि फसलों की किस्म, उचित कृषि उपायों तथा उत्पादों को बेचने के लिए उचित बाजारों के चयन में किसानों को निर्णय लेने में सहायता के लिए अद्यतन प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के लगभग 85 प्रतिशत किसान 2 हेक्टेयर से छोटी भू जोतों के धारक हैं जिससे उत्पादन की उनकी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं हो पाता। इस तरह के खेतों में उत्पादकता में वृद्धि के लिए, कम कीमत, कम वजन तथा बहुउद्देश्यीय कृषि उपकरणों का विकास जरूरी है। उन्होंने कहा कि छोटे खेतों का मशीनीकरण आज की जरूरत है क्योंकि इससे खेती के व्यस्ततम् समय में मजदूरों की कमी के प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। कृषि में मशीनीकरण से ऊर्जा के दक्षतापूर्ण प्रबंधन में भी सुविधा होगी। उन्होंने आगे कहा कि परंपरागत ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए तथा सततता सुनिश्चित करने के लिए हमारे अनुसंधान संस्थानों को सौर ऊर्जा तथा जैव ईंधन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा मॉडलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें कृषि को बौद्धिक रूप से रुचिकर तथा लाभदायक विषय बनाना होगा जिससे इस क्षेत्र में मेधावी लोग आएं। कृषि शिक्षा को खाद्य असुरक्षा; घटती उत्पादकता; घटते प्राकृतिक संसाधनों; जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिम; क्षेत्रीय असंतुलन; निवेश की बढ़ती लागत; बदलती खाद्य आदतों तथा कटाई के बाद के खेती के प्रबंधन जैसी समसामयिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्हें हमारे नीति निर्धारकों द्वारा बेहतर ढंग से समझने के लिए, इन मुद्दों को अकादमिक स्वरूप प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बायोसेन्सर, जेनोमिक्स, बायोटेक्नोलॉजी, नैनोटेक्नोलोजी तथा वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों जैसी अद्यतन प्रौद्योगिकी को इसकी सीमा में लाने के लिए कृषि अनुसंधान की गुणवत्ता तथा प्रासंगिकता में वृद्धि करनी होगी।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने ‘किसान एस एम एस पोर्टल’ का शुभारंभ किया तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में श्री शरद पवार, केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री, डॉ. चरणदास महंत, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री तथा श्री ताऱिक अनवर, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री भी शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1300 बजे जारी की गई।