राष्ट्रपति ने कहा, फिलस्तीन की जनता के साथ भारत की एकजुटता तथा फिलस्तीन मुद्दे को इसका सैद्धांतिक समर्थन हमारे अपने स्वतंत्रता संघर्ष के मूल में बसे हैं।
अल-कुद्स विश्वविद्यालय ने आज (13 अक्तूबर, 2015) रामल्लाह में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति मुखर्जी को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि, फिलस्तीन की जनता के साथ भारत की एकजुटता तथा फिलस्तीन मुद्दे को इसका सैद्धांतिक समर्थन हमारे अपने स्वतंत्रता संघर्ष के मूल में बसे हैं। भारत सदैव फिलस्तीन के हित को बढ़ावा देने में अग्रणी रहा है, भारत ने 1947 में संयुक्त राष्ट्र आमसभा में फिलस्तीन के विभाजन के विरुद्ध मतदान किया था। हमने फिलस्तीन मुक्ति संगठन को 1947 में फिलस्तीन जनता के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी, भारत पहला गैर-अरब देश था जिसने 1988में फिलस्तीन राष्ट्र को मान्यता दी। हमने 2012 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा फिलस्तीन राष्ट्र के मान्यता अभियान को आगे बढ़ाया। भारत ने पिछले माह संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में फिलस्तीन ध्वज फहराने के सफल प्रस्ताव का समर्थन किया। भारत ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा के 53वें सत्र के दौरान ‘फिलस्तीनियों के आत्म-निर्णय के अधिकार पर’ मसौदा प्रस्ताव का सहप्रायोजन किया था। तत्पश्चात्, भारत ने इजराइल द्वारा पृथक दीवार के निर्माण के विरुद्ध अक्तूबर 2003 में संयुक्त राष्ट्र आम सभा के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान दिया तथा इस संबंध में, संयुक्त राष्ट्र आम सभा के आगामी प्रस्तावों का समर्थन किया। भारत ने फिलस्तीन को यूनेस्को के पूर्ण सदस्य के रूप में स्वीकृत किए जाने के पक्ष में मतदान किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि सदृढ़ नींव तथा फिलस्तीन की जनता की शांति, समृद्धि और विकास में भारत-फिलस्तीन के साझे विश्वास ने भारत को और अधिक कार्य के लिए प्रेरित किया है। फिलस्तीन की उनकी यात्रा का एक लक्ष्य भारत और फिलस्तीन के संबंध का एक भावी ढांचा सुझाना है। भारत, फिलस्तीन पर अपनी पारंपरिक नीति का अनुसरण करता रहेगा, परंतु यह चाहता है कि साझीदारी का ढांचा तीन प्रमुख स्तंभों के माध्यम से सशक्त बनाया जा सकता है-घनिष्ठ राजनीतिक बातचीत, गहरा आर्थिक संबंध तथा शैक्षिक सहयोग और व्यापक सांस्कृतिक संपर्क तथा जनता का परस्पर आदान-प्रदान।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने अल-कुद्स विश्वविद्यालय में एक भारत-पीठ स्थापित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत को सदैव शिक्षा के प्रोत्साहन में फिलस्तीन का साझीदार बनने में प्रसन्नता हुई है। वर्षों के दौरान, लगभग 12,000 फिलस्तीनी विद्यार्थी भारतीय विश्वविद्यालय के स्नातक बने हैं, जिनमें से अधिकांश को भारत सरकार ने छात्रवृत्तियां प्रदान की थीं। आज,ये विद्यार्थी हमारे दोनों देशों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करते हैं।
यह विज्ञप्ति1550 बजे जारी की गई।