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राष्ट्रपति जी ने कहा, आज भारत जो है वह जवाहरलाल नेहरू के कारण है

राष्ट्रपति भवन : 13.11.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने जवाहरलाल नेहरू और आधुनिक भारत का निर्माण विषय पर आज (13 नवम्बर, 2014) नई दिल्ली में 46वां जवाहरलाल नेहरू स्मृति व्याख्यान दिया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत जो है, वह नेहरू, उनकी संकल्पना तथा राष्ट्र के प्रति उनके आजीवन समर्पण के कारण है। भारत के प्रति नेहरू की सेवाएं असीम हैं। वह हमारे समय के महानतम व्यक्तित्वों में से थे। नेहरू की परिकल्पना इस विषय में एकदम स्पष्ट थी कि आधुनिक भारत को कैसा दिखाई देना चाहिए और उन्होंने ऐसे मजबूत स्तंभों का निर्माण करते हुए अपने सपनों को साकार करना शुरू किया जो नवोदित राष्ट्र को सहायता दे। यदि आज भारत एक जीवंत लोकतंत्र है तो यह केवल नेहरू द्वारा स्थापित बुनियादों के कारण है। यदि भारत खरीद शक्ति क्षमता के आधार पर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाया है तो यह नेहरू द्वारा स्थापित बहुउद्देशीय परियोजनाओं, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों जैसे उच्च शिक्षा के संस्थानों तथा उनके द्वारा शुरू की गई व्यवस्थित योजना निर्माण प्रक्रिया के बदौलत है। यदि भारत की आज विश्व के प्रौद्योगिकीय रूप से उन्नत देशों में गणना की जाती है तो यह नेहरू द्वारा वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने तथा उनके द्वारा देश भर में स्थापित राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की शृंखला के कारण है। नेहरू ने ही हमें पिछड़ी तथा दूसरों पर निर्भर अर्थव्यवस्था से उबार कर आज की उभरती हुई शक्ति बनाया। उन्होंने ही भारतीयों को यह सुनिश्चित करने के लिए विश्वास तथा योग्यता से सज्जित किया कि हमारा देश विश्व के अग्रणी देशों के बीच अपना उचित और सम्माननीय स्थान हासिल कर सके।

राष्ट्रपति जी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू का जीवन और परिकल्पना, उनके संघर्ष और उनकी उपलब्धियां किसी महान गाथा से कम नहीं थे। परंतु उनकी गहन लोकतांत्रिक भावना तथा जनता की सम्प्रभुता में विहित राजनीति हमारे लिए उनकी हमारे लिए सबसे बहुमूल्य विरासत है। हाल ही में, 16वीं लोक सभा के चुनावों में हमारे विशाल 83.4 करोड़ मतदाताओं में से 66.40प्रतिशत ने जिस प्रकार अपने मत का प्रयोग किया, वह उपर्युक्त दिशा में नेहरू के प्रयासों की सर्वोत्तम पुष्टि है। भविष्य की ओर देखते हुए, हमें अपनी लोकतांत्रिक संस्थाओं और परिपाटियों की रक्षा और उनको मजबूत बनाने की आवश्यकता पर फिर से ध्यान देना होगा। भले ही वे पूर्णत: कुशल न हों, परंतु वे हमारे देश के लिए 21वीं सदी की दिशा में आगे बढ़ने की सर्वोत्तम राह का प्रतिनिधित्व करती हैं।

व्याख्यान का आयोजन जवाहरलाल नेहरू स्मृति कोष ने पं. जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया था।

 

यह विज्ञप्ति 1915 बजे जारी की गई।