भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (13 दिसंबर, 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा, भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम विभाग के सहयोग से आयोजित सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों के वैश्विक शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हमारे देश के औद्योगिक परिदृश्य के अभिन्न अंग रहे हैं। उन्होंने, भारतीय उद्योग के जनक के रूप में तथा भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में भूमिका निभाई है। एक आदर्श नियोक्ता तथा औद्योगिक समुदाय के नेता के रूप में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों ने कई तरीके से योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के समक्ष सबसे प्रमुख चुनौती बाजार की शक्तियों का सामना करने के लिए उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना है। प्रबंधन को उच्चतम पेशेवर दक्षता लानी होगी ताकि वह उत्पादकता तथा दक्षता में वैश्विक मानदंडों को प्राप्त करने तथा समसामयिक वैश्विक उद्यमों से अपेक्षित विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति में सफल हों।
राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक विकास के अभिरक्षक के तौर पर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों से उच्च स्तर की संबद्धता की अपेक्षा है। यद्यपि केंद्र सेक्टर के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में पहले ही अपने दायित्व पूरे कर रहे हैं, उन्हें कंपनी अधिनियम 2013 में निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप अपने निजी क्षेत्र के समकक्षों के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना होगा।
इस अवसर पर उपस्थित गण्यमान्य अतिथियों में श्री प्रफुल्ल पटेल, भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री, श्री गोपालकृष्णन, भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष, श्री ओ.पी. रावत, लोक उद्यम विभाग भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय के सचिव, तथा श्री बी.पी. राव, भारतीय उद्योग परिसंघ की सार्वजनिक लोक उद्यम परिषद के अध्यक्ष तथा भारत हैवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड के अध्यक्ष शामिल थे।
यह विज्ञप्ति 1250 बजे जारी की गई।