भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज 13 दिसंबर, 2015 को कलकत्ता डायोसेस के द्विशताब्दी समापन समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक पंथ मानवता के मूलभूत मूल्यों का प्रचार करता है। भारत के कई प्रमुख पंथ इसके उस आत्मसात्करण स्वरूप के कारण फले-फूले हैं जिसने सदियों से हमारी सभ्यता को परिभाषित किया है। विभिन्न आस्थाओं को मानने वाले लोग लंबे समय से यहां मिलजुलकर कर रहे हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक पंथों से भारत शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और सांप्रदायिक सौहार्द का आकर्षक स्थान बन गया है। यहीं पर ईसाई समुदाय को उसकी शांतिपूर्ण और मानवतावादी प्रवृत्ति तथा राष्ट्र निर्माण में उनके भरपूर योगदान के लिए सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। हमारे समाज का तानाबाना तभी मजबूत रहेगा जब प्रत्येक व्यक्ति जाति, संप्रदाय, भाषा,क्षेत्र और पंथ के होते हुए निर्भय और असंकीर्ण होकर प्रगति से लाभान्वित होगा और उसमें भाग लेगा।
राष्ट्रपति ने कोलकाता शहर तथा समग्र समाज के प्रति सेवा और समर्पण की अपनी सफल यात्रा के दो सौ वर्ष पूरे करने पर कलकत्ता डायोसेस को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इसने बहुआयामी मानवीय कार्यकलापों के सम्मानजनक आचरण के माध्यम से मार्गदर्शन किया है तथा दूसरों के समक्ष अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कोलकाता के डायोसेस परिवार से श्रेष्ठ कार्य जारी रखने तथा नागरिकों के जीवन को निरंतर बदलने का आह्वान किया।
यह विज्ञप्ति 1830 बजे जारी की गई।