भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (14 फरवरी, 2013) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हरित डिजायन पर चौथे राष्ट्रीय सम्मेलन, गृह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की बढ़ती जनसंख्या तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और तेजी से शहरीकरण के कारण भवनों की मांग बहुत बढ़ गई है। जिसके परिणामस्वरूप, नए तथा मौजूदा भवनों में बिजली की मांग बहुत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि संसाधनों की बढ़ती मांग और तेजी से परिवर्तित होती जलवायु सततता प्राप्त करने के लिए नीति निर्माताओं को सभी स्तरों पर पर्यावरण पर पड़ने वाले दबावों का समाधान ढूंढना होगा। शहरी चुनौतियों का सामना करने के लिए कई नीतिगत तथा विनियामक व्यवस्थाएं शुरू की गई हैं और उनको राष्ट्रीय योजनाओं तथा कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। तथापि, इस संबंध में काफी कुछ किया जाना बाकी है।
राष्ट्रपति ने ऊर्जा तथा संसाधन संस्थान (टेरी) तथा नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार को गृह-भारत के लिए घरेलू हरित भवन श्रेणीकरण प्रणाली के विकास और कार्यान्वयन के लिए बधाई दी। उन्होंने गृह पुरस्कार विजेताओं को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और ऊर्जा दक्षता दिखाने तथा अपने भवनों में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण अपनाने के महत्त्वपूर्ण प्रयासों के लिए भी बधाई दी और उम्मीद जताई कि अन्य लोग भी इन भवनों से शुरू किए गए उदाहरणों का अनुकरण करेंगे और लाभ उठाएंगे।
यह विज्ञप्ति 1330 बजे जारी की गई