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भारतीय सिविल लेखा सेवा के परिवीक्षाधीनों ने राष्ट्रपति जी से भेंट की।

राष्ट्रपति भवन : 14.03.2014

भारतीय सिविल लेखा सेवा के 16 परिवीक्षाधीनों ने आज (14 मार्च, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।इन परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सिविल लेखा सेवा को भारत की लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली में सुधार के तहत 1976 में भारतीय लेखापरीक्षा एवं लेखा सेवा में से बनाया गया था। इसके मूल में संघीय स्तर पर सांविधिक लेखापरीक्षा तथा लेखा को अलग-अलग करने का विचार था। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि यह व्यवस्था अच्छी तरह चल रही है। वर्षों के दौरान सिविल लेखा संगठन सही दिशा में बढ़ा है तथा इसका विकास न केवल सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में विकास के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए बल्कि आम आदमी की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए भी हुआ है।राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सिविल सेवा ने अपना ध्येय वाक्य ‘कोषपूर्व: समारंभ:’ का चयन उचित ही कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ से किया है। एक मजबूत तथा सुव्यवस्थित कोष संचालन, शासन तथा विकास के लिए सभी तरह की योजनाओं का आधार होता है; तथा सुशासन का भी परिणाम होता है। आज जनता के बीच सुपुर्दगी प्रणाली में बेहतर दक्षता की अपेक्षा बढ़ी है। इन चिंताओं के समाधान के लिए यह जरूरी है कि सरकारी विभाग अपनी प्रणालियों का आधुनिकीकरण करें तथा उन्हें नागरिक केंद्रित बनाएं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि इस संगठन द्वारा शुरू किए गए सुधार सही दिशा में हैं।राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक सूचना एवं संचार उपकरणों का प्रयोग सभी सरकारी एजेंसियों के उच्च दक्षता प्राप्त करने तथा उपलब्ध मानव संसाधनों का बेहतर प्रयोग करने की कुंजी है। सिविल लेखा संगठन भारत के ऐसे सबसे पहले संगठनों में से था जिन्होंने आरंभ में सरकारी कार्य में कंप्यूटरों का प्रयोग करना शुरू किया था। उन्होंने कहा कि उन्हें वित्त मंत्री के रूप में 31 अक्तूबर, 2011 को सिविल लेखा संगठन द्वारा विकसित सरकारी ई-पेमेंट गेटवे के उद्घाटन का अवसर मिला था। इस ई-पेमेंट प्रणाली का विचार सरकारी कार्यालयों तथा कार्मिकों पर लाभभोगियों की निर्भरता को खत्म करना तथा इसके बजाय उनके खातों में सीधा धन भेजना था। ई-पेमेंट की पहल से भुगतान में लगने वाला समय कम हुआ है तथा इससे प्रणालीगत दक्षता में सुधार आया है।राष्ट्रपति ने कहा कि समय पर तथा सुसंबद्ध वित्तीय तथा लेखा डॉटा की उपलब्धता सरकार द्वारा अपने वित्त तथा बजट की बेहतर योजना और प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है। सिविल लेखा संगठन संसद में संघीय वित्त एवं समायोजन लेखा समय पर प्रस्तुत करके एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। सिविल लेखा संगठन सिविल मंत्रालयों और विभागों में आंतरिक लेखा परीक्षा कार्यों के लिए भी उत्तरदायी है। सिविल लेखा अधिकारी, आंतरिक लेखापरीक्षकों के रूप में मंत्रालयों एवं विभागों को जोखिम प्रबंधन, जोखिम कम करने, आंतरिक नियंत्रण तथा शासन प्रक्रियाओं में व्यवस्थित तथा अनुशासित नजरिया अपनाते हुए अपने उद्देश्य पूरे करने में सहायता प्रदान करते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिविल लेखा संगठन केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय के माध्यम से सभी असैनिक मंत्रालयों, अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों को पेंशन भुगतान के प्रबंधन, भुगतान तथा लेखा-जोखा के लिए जिम्मेदार है। यह अत्यंत महती दायित्व है जे सिविल लेखा सेवा को सौंपा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मानव संसाधन सभी परिवर्तन प्रबंधन प्रयासों का महत्त्वपूर्ण अंग है, खासकर तब जब सूचना प्रौद्योगिकी आधारित प्रयासों का मामला हो। उन्होंने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी हुई है कि लेखा महानियंत्रक संगठन अपने मानव संसाधन को पूरा महत्त्व देते हुए अपने सभी कर्मचारियों को अपने प्रशिक्षण संस्थान, शासकीय लेखा एवं वित्त संस्थान के माध्यम से इस तरह के सुधार से जोड़ रहा है। यह संस्थान सिविल लेखा संगठन की प्रशिक्षण जरूरतों को पूरा करने के अलावा राज्य सरकारों, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों, स्वशासी निकायों तथा सरकार के अन्य स्टेकधारकों के लिए लोक वित्त प्रबंधन में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित कर रहा है। यह संस्थान, ‘एसोसियेशन ऑफ गर्वन्मेंट एकाउन्टस आर्गनाइजेशन ऑफ एशिया’ के सचिवालय के रूप में क्षेत्रीय सहयोग में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

इस सेवा के 2012 बैच के परिवीक्षाधीन इस समय शासकीय लेखा एवं वित्त संस्थान नई दिल्ली में तथा 2013 बैच के परिवीक्षाधीन राष्ट्रीय वित्तीय प्रबंधन संस्थान, फरीदाबाद में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

यह विज्ञप्ति 1545 बजे जारी की गई।