भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से 14 अप्रैल, 2016 को राष्ट्रपति भवन में भारतीय आयुध निर्माणी सेवा 2014 (II)बैच तथा राष्ट्रीय रक्षा उत्पादन, नागपुर की राष्ट्रीय अकादमी के (I एवं II) बैच के परिवीक्षाधीनों के एक समूह ने भेंट की।
परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक सुरक्षित, संरक्षित और प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माण के लिए हमें क्रमश: शस्त्र प्रणालियों और शस्त्रीकरण में आत्मनिर्भर बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे हैं कि हमारी सशस्त्र सेनाएं विश्व के सबसे सक्षम और उन्नत अस्त्र शस्त्रों से लैस हों। आयुद्ध निर्माणियों को इन प्रयासों में अग्रणी बनना चाहिए।
राष्ट्रपति ने भारतीय आयुध निर्माणी संगठन को, रक्षा मंत्री द्वारा निर्धारित रुपये 13500 करोड़ के लक्ष्य की तुलना में 2015-16 में रुपये 14132 करोड़ का अब तक का सबसे अधिक टर्नओवर प्राप्त करने पर बधाई दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि2018तक रुपये 20,000करोड़ का निर्धारित लक्ष्य भी प्राप्त किया जाएगा।
राष्ट्रपति ने युवा अधिकारियों से कहा कि उनके पास अपने ज्ञान को बढ़ाने, अपने कौशल को निखारने तथा विभिन्न अनुभव अर्जित करने के लिए एक आदर्श कार्यस्थल है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस सच्चाई से गर्व और संतोष प्राप्त होगा कि वे ना केवल श्रेष्ठ अस्त्र-शस्त्र और आयुध सामग्री निर्मित करते हैं बल्कि वे देश की सशस्त्र सेनाओं को मजबूत बना रहे हैं तथा इससे राष्ट्रीय सुरक्षा तैयारियों में भी योगदान कर रहे हैं। उन्होंने उनसे यह कभी ना भूलने का आग्रह किया कि प्रत्येक नाकाम गोली या हथियार से उस सैनिक का जीवन खतरे में पड़ जाता है जो इस महान राष्ट्र की सुरक्षा और एकता के लिए अपना कर्तव्य निभा रहा है। उनका कार्य ना केवल अस्त्र-शस्त्र और युद्ध सामग्री निर्मित करना है बल्कि समय पर सुपुर्दगी सुनिश्चित करते हुए तथा हमारी सशस्त्र सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और पुलिस बलों के हाथ मजबूत बनाते हुए बेहतर उत्पाद प्रदान करना भी है।
यह विज्ञप्ति 2000बजे जारी की गई।