भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (13 जून, 2016) अकरा, में घाना विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी परस्पर सद्भावना की नींव पर टिके रहते हुए हमें अपने संबंधों का कायाकल्प करने की आवश्यकता है। भारत-घाना संबंधों की एक नयी सकारात्मक तथा एक ओजस्वी,नवान्वेषी और अभिनव गाथा रचने की आवश्यकता है। उन्हें विश्वास है कि हमारे युवा, जो हमारे भावी नेता हैं,सहयोग के इस नये और संशोधित मॉडल में पूर्णतः समायोजित हो जाएंगे। उन्हें हिस्सेदार बनाकर हम अपनी साझीदारी को पुनः सशक्त बनाने तथा इसे नये स्तर पर ले जाने में सफल होंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा एक आलोकित दीप के समान है जिसे बहुत सारे लोगों का मार्गदर्शन और प्रकाशन करना चाहिए। उन्होंने घाना के युवाओं का अपने समाज और अपने राष्ट्र की सेवा में शिक्षा और ज्ञान को प्रयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि महान डॉ. क्वामे क्रूमा की विरासत के उत्तराधिकारी इस महान राष्ट्र की भावी पीढि़यां,में अपने राष्ट्र को गौरवान्वित करने के गुण हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 250 घाना के सरकारी और अर्द्धसरकारी अधिकारी भारत में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं जबकि लगभग 20 विद्यार्थी पूर्णकालिक छात्रवृत्तियों पर स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम पूरे करते हैं। उन्होंने घोषणा की कि घाना की अपार मानव संसाधन क्षमता की पहचान करते हुए, भारत सरकार ने घाना के लिए 300 आईटीईसी स्थान तथा अन्य भारतीय योजनाओं के अंतर्गत वार्षिक छात्रवृत्तियों की संख्या 40 तक बढ़ाने का निर्णय किया है।
राष्ट्रपति ने इस महान विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और शिक्षकों तथा अन्य लोगों को गत वर्ष भारत-अफ्रीका मंच सम्मेलन में भारत द्वारा घोषित छात्रवृत्तियों तथा प्रशिक्षण अवसरों का पूरा लाभ उठाने के लिए कहा। भारत अफ्रीका संबंधों के क्षमता निर्माण आयाम को कृषि,जैव-प्रौद्योगिकी जैसे अनेक क्षेत्रों तथा उनके देश के लिए प्रासंगिक अन्य विषयों में अनुसंधान को शामिल करने के लिए और अधिक विस्तृत किया गया है।
यह विज्ञप्ति 1120 बजे जारी की गई।