भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (14 दिसम्बर, 2012) विज्ञान भवन में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2012 का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि सतत् विकास के अंतर्गत उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग अधिक कुशल तरीके से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें तद्नुसार, सभी को ऊर्जा सुलभ करवानी होगी और साथ ही ऊर्जा कुशलता को बढ़ावा देना होगा। इसलिए स्वच्छ स्रोतों को अपनाना अत्यावश्यक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह बात समझनी होगी कि अधिक सतत् भविष्य के पथ के लिए हमारे समाज को ऊर्जा प्रयोग और लागत व उपलब्धता के बीच बेहतर संतुलन बनाना होगा। उन्होंने सतत् विकास को बढ़ावा देने के प्रयास में सरकार के साथ मिलकर कार्य करने के लिए विभिन्न उद्योगों के पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक खतरा है परंतु यह मिलकर कार्य करने का एक अच्छा अवसर भी है। जलवायु संवेदनशीलता के मोर्चे पर स्थित एक विकासशील देश होने के नाते, भारत की, जलवायु परिवर्तन की एक सफल, नियम आधारित, समान और बहुपक्षीय प्रवृत्ति के विकास में एक प्रमुख भागीदारी है।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2012 प्रदान किए। उन्होंने एक राष्ट्रीय स्तर की चित्रकारी प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, ऊर्जा मंत्रालय के सचिव, श्री पी. उमाशंकर और ऊर्जा कौशल ब्यूरो की महानिदेशक श्रीमती ज्योति अरोड़ा भी उपस्थित थीं।
यह विज्ञप्ति 1845 बजे जारी की गई