भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 फरवरी, 2013) प्रगति मैदान, नई दिल्ली में 20वें अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी मेले का उद्घाटन किया।
अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय इंजीनियरी तथा प्रौद्योगिकी मेला ऐसे समय पर आयोजित हो रहा है जब दुनिया वैश्विक आर्थिक संकट के दूसरे दौर के प्रभावों से उबरना शुरू हुई है। भारत ने भी वैश्विक मंदी के दुष्प्रभावों को महसूस किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि पहले कुछ दिनों के दौरान भारत के आर्थिक विकास में कुछ कमी आई है परंतु उन्हें विश्वास है कि भारत इस मंदी पर रोक लगाकर उसे फिर से 8 प्रतिशत से अधिक की विकास दर पर ले आएगा जो कि हम पहले भी कई बार प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति आय, मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के बढ़ने तथा युवा और उर्जावान कार्यबल के चलते, विकास के लिए प्रोत्साहन की स्थिति मजबूत है। राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होने के मद्देनजर सभी स्टेकधारकों द्वारा मिल-जुलकर किए गए मजबूत प्रयासों से इस रूझान से फायदा उठाते हुए अधिक तेजी से विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि इंजीनियरी संबंधी प्रयासों के मूल में जनता होनी चाहिए और इनका लक्ष्य मानव संसाधन, उपभोक्ता तथा विक्रेता होने चाहिए। राष्ट्रीय विनिर्माण नीति 2011 में, 2025 तक विनिर्माण सेक्टर में 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार सृजित करने की परिकल्पना की गई है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय उद्योग को उत्पादक तथा प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए हमें मुख्यत: मानव कौशल, हार्डवेयर प्रौद्योगिकी तथा ज्ञान का आधार जैसे विभिन्न मोर्चों पर अपनी क्षमताओं में वृद्धि करनी होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि नवान्वेषण, विकास के लिए प्रमुख प्रबंधकीय कार्य योजना है। उन्होंने कहा कि हमें इसके विभिन्न पहलुओं जैसे प्रक्रिया नवान्वेषण, उत्पाद नवान्वेषण, व्यवसाय मॉडल नवान्वेषण तथा नवीन प्रौद्योगिकी नवान्वेषण पर जोर देना होगा। उन्होंने कहा कि एक सतत् विकास माडल न केवल आज की जरूरत है बल्कि इससे औद्योगिक सेक्टर के लिए नए अवसर भी खुल रहे हैं।
यह विज्ञप्ति 1330 बजे जारी की गई