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भारत के राष्ट्रपति ने अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार प्रदान किया

राष्ट्रपति भवन : 15.02.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 फरवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में डॉ. विजय कुमार विनायक डोगरे तथा प्रोफेसर गौचेंग झांग को कुष्ट रोग के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2013 का अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार प्रदान किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि आज जरूरत है कि हम कुष्ट रोग के मामलों का शीघ्र पता लगाने, समुचित उपचार की समतापूर्ण पहुंच उपलब्ध कराने तथा निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में एकीकृत कुष्ट निदान सेवाएं उपलब्ध करने की दिशा में अपने प्रयासों में तेजी लाएं। वर्षों से कुष्ट रोग मानवता पर एक धब्बे के समान बना हुआ है। चिकित्सकीय स्थिति से कहीं अधिक इस बीमारी के साथ जुड़ी सामाजिक वर्जना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि समर्थन तथा सूचना के प्रसार द्वारा उन लोगों का सशक्तीकरण करने की जरूरत है जिनके साथ कुष्ट रोग के कारण सामाजिक भेद-भाव किया गया है। कुष्ट रोग के लिए सामाजिक चुनौतियां अभी बनी हुई हैं। परंतु इसी के साथ यह देखकर खुशी होती है कि संयुक्त राष्ट्र ने कुष्ट रोग से ग्रस्त लोगों के साथ भेदभाव पर एक संकल्प पारित किया है तथा यह प्रयास किए जा रहे हैं कि ऐसे कानूनों को समाप्त किया जाए जो कुष्ट रोग से ग्रस्त व्यक्तियों को समाज में योगदान देने से रोकते हैं।

राष्ट्रपति ने कुष्ट रोग के लिए अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं प्रो. गौचेंग झांगा तथा डॉ. वी.वी. डोंगरे को हार्दिक बधाई दी, जिन्होंने अपने जीवन के कई दशक उपचार, प्रशिक्षण तथा अनुसंधान के माध्यम से कुष्ट रोग के उन्मूलन पर लगाए।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञ समिति ने कुष्ट रोग के कारण नए रोगियों की निशक्तता की दर को वर्ष 2020 तक घटाकर एक मिलियन पर एक करने की चुनौती निर्धारित की है। इस चुनौती को केवल बहुपक्षीय तथा एकीकृत तरीके से पूरा किया जा सकता है। उन्होंने सभी भागीदारों से आग्रह किया कि वे इकट्ठा होकर कुष्ट रोग के संपूर्ण उन्मूलन के लिए समन्वित प्रयास करें। उन्होंने गांधी स्मृति कुष्ट रोग फाउंडेशन तथा इस महान कार्य से जुड़े सभी लोगों को उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं।

अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार को गांधी स्मृति कष्ट रोग फाउंडेशन द्वारा कुष्ट रोग की दिशा में गांधी जी के सेवा तथा उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण की स्मृति में स्थापित किया गया है। दोनों पुरस्कारों को प्रति दो वर्ष में, कुष्ट रोग के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने के लिए व्यक्तियों/संस्थाओं को प्रदान किया जाता है।

यह विज्ञप्ति 1910 बजे जारी की गई।