भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 अप्रैल, 2013) इम्फाल में आदिमजाति शिक्षा आश्रम के हीरक जयंती समारोहों में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि मणिपुर का सभी भारतीयों के दिलों में विशेष स्थान है। उपनिवेशवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई के इतिहास में मणिपुर के राजा ने अंग्रेजों के समक्ष सबसे अंत में आत्मसमर्पण किया था। मणिपुर वह पहला स्थान था जिसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में इडियन नेशनल आर्मी द्वारा अंग्रेजों ने मुक्त कराया गया था। मणिपुर से वीर टिकेन्द्रजीत सिंह तथा रानी गैदिनल्यू जैसे नेताओं ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत सहयोग दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता का उद्देश्य केवल शक्ति का हस्तांतरण नहीं, बल्कि राजनीतिक दासता, आर्थिक गुलामी तथा सांस्कृतिक ठहराव से मुक्ति था। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के बहुत से हिस्सों को उस विकास प्रक्रिया का पूरा लाभ नहीं मिल पाया जो हमारी पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा शुरू की गई थी। इस अभाव की पूर्ति सामूहिक प्रयास तथा योगदान के द्वारा की जानी चाहिए।
यह विज्ञप्ति 2025 बजे जारी की गई