भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 जून, 2016) अबिदजान के गवर्नर, श्री रॉबर्ट ब्यूग्र माम्बे से अबिदजान नगर की कुंजी और चर्मपत्र प्राप्त किया। कुंजी प्रदान करना अबिदजान की मानद नागरिकता प्रदान करने का प्रतीक है। मानद नागरिक नगर के प्रबुद्ध जनों की समिति के सदस्य होते हैं और नगर के प्रशासन के प्रभावी कामकाज में सलाह देते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विश्व के सबसे विशाल लोकतंत्र और पंथ निरपेक्ष गणतंत्र के रूप में भारत अबिदजान नगर को विभिन्न जनजातियों और पंथों के संगम स्थल के रूप में देखता है। उन्हें प्रसन्नता है कि हाल ही के गृह युद्ध के दौरान व्यापक क्षति सहने के बाद इसने अपनी पुरानी भव्यता को दोबारा हासिल कर लिया है। आज यह एक बार फिर राष्ट्रीय एकता और अखण्डता का प्रतीक बन गया है और यह एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र के रूप में विकसित हो गया है। भारत तेजी से राष्ट्रीय सुलह और बेहतर दिनों की ओर अग्रसर होने के लिए एकजुट होने के कोटे डी आइवरे के नागरिकों के उत्साह की सराहना करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह भारत की जनता के नाम पर अबिदजान नगर द्वारा प्रदान की गई मानद नागरिकता इसे कोटे डी आइवरे तथा भारत की जनता की मैत्री के अहम प्रतीक के रूप में देखते हैं स्वीकार करते हैं।
अबिदजान नगर की कुंजियों को प्रदान करने के साथ-साथ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अबिदजान नगर की मानद नागरिकता भी प्रदान की गई। राष्ट्रपति को सलाहकार की प्रतिष्ठा वाले पारंपरिक डोगबो चीफ समुदाय में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया। इस संदर्भ में, उन्हें पद के मुताबिक पोशाक भी प्रदान की गई। इस पोशाक में एक बड़ी पारंपरिक धोती जिसके नीचे मेल खाते हुए जूते, एक विशेष टोपी, एक कड़ा, पारंपरिक हार, शक्ति प्रदर्शन करने वाली एक छड़ी और एक फ्लाईविश्क शामिल होते हैं। ये प्रत्येक वस्तु एक पांरपरिक नेता के कामकाज में विशेष भूमिका निभाते हैं।
इस विशिष्ट पद के साथ,उन्हें एक नया नाम अस्सी टो दिया गया जिसका अर्थ है पथ, तरीका, उदाहरण।
यह विज्ञप्ति 1840बजे जारी की गई।