भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी, स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त, 2013) के अवसर पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति भवन के विशिष्ट बच्चों से मिले।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चे भी उतने ही कामयाब हैं जितने अन्य बच्चे, बशर्ते हम उन्हें सहयोग तथा अवसर प्रदान करें। उनके साथ संवेदनशीलता तथा सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किए जाने की जरूरत है। उनमें अपना सामर्थ्य प्रदर्शन करने की पूरी क्षमता है। हर एक बच्चे के अंदर ईश्वर बसते हैं और विशिष्ट बच्चे इसका अपवाद नहीं हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें यह विश्वास होना चाहिए कि हर एक व्यक्ति जो भी चाहे वह सीखने में तथा जो भी करना चाहे, उसे करने में सक्षम है बशर्ते उसे ऐसे अवसर प्रदान किए जाएं। सरकार अलग तरह से सक्षम व्यक्तियों के लिए समान अवसरों के सृजन के लिए बहुत कोशिश कर रही है। परंतु नागरिकों को भी उसके साथ मिलकर प्रयास करते हुए सरकार के प्रयासों में सहयोग करना चाहिए।
अभिभावकों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अपने संघर्ष में वे अकेले नहीं हैं। उनके बच्चों की परवरिश में पूरा राष्ट्रपति भवन उनके साथ है। उन्होंने कहा कि वे समझते हैं कि माता-पिता को अलग तरह से सक्षम बच्चों की परवरिश में कितनी समस्याओं और संघर्षों का सामना करना पड़ता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वह चाहते हैं कि राष्ट्रपति भवन विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चों तथा व्यस्कों की देखरेख के मामले में एक आदर्श समुदाय बने और शेष देश के लिए उदाहरण प्रस्तुत करे। वह राष्ट्रपति भवन को शांति, सौहार्द, मैत्री तथा एकजुटता का एक उदाहरण बनते देखना चाहते हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति की सचिव, श्रीमती ओमिता पॉल ने कहा कि राष्ट्रपति भवन के विशिष्ट बच्चों के साथ राष्ट्रपति की मुलाकात, समुदाय में विशिष्ट बच्चों की उपस्थिति को मानने तथा उनकी कुछ जरूरतों का सामूहिक रूप से समाधान करने की दिशा में एक छोटे तथा विनम्र प्रयास की शुरुआत है। इस तरह की पहल पहली बार की जा रही है।
राष्ट्रपति, चाहेंगे कि राष्ट्रपति भवन एक ऐसा समुदाय बने जो अपने बीच अलग तरह से सक्षम व्यक्तियों के प्रति जागरूक है और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए, उन्हें सक्षम बनाना चाहता है। इसलिए यह योजना बनाई गई है कि धीरे-धीरे ऐसे कार्यक्रम तथा सुविधाएं शुरू की जाएं जो इस लक्ष्य की प्राप्ति में सहायता दें।
एक ‘राहत-देखभाल केंद्र’ की स्थापना की जा रही है जहां पेशेवर लोगों द्वारा विशिष्ट बच्चों की देखभाल की जाएगी। यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि स्कूल जाने वाली उम्र का हर-एक बच्चा स्कूल जाए तथा समुचित शिक्षा प्राप्त करे। अभिभावकों की सहायता के उद्देश्य से, उन अभिभावकों/परिवारों के लिए कार्यशालाएं तथा प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे, जिनके पास विशिष्ट जरूरतों वाले बच्चे हैं। एक ऐसा ‘सामाजिक क्लब’ भी शुरू किया जाएगा जहां विशिष्ट जरूरतों वाले वयस्क अथवा युवा वयस्क समय-समय पर व्यवस्थित ढंग से मिल सकें तथा फिल्में देखने जैसी गतिविधियों में भाग ले सकें।
यह विज्ञप्ति 1430 बजे जारी की गई।