भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 नवंबर, 2013) मुंबई में एक समारोह में जमनालाल बजाज पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यदि हम जमनालाल बजाज के जीवन का अध्ययन करें तो हमें उन पर गांधी जी के तथा गांधी जी पर उनके महान प्रभाव का पता चलेगा। श्री जमनालाल ने अपने पूरे परिवार को गांधीवादी जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दी। गांधी जी ने जमनालाल बजाज को अपने पांचवें पुत्र के रूप में अपनाया तथा जमनालाल बजाज ने ही गांधी जी को वर्धा में आकर बसने के लिए मनाया था।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब हम जमनालाल बजाज पुरस्कारों के पिछले संपूर्ण विजेताओं पर नजर डालते हैं तो हम पाते हैं कि समाज के निर्माण के प्रति उनके द्वारा किए गए नि:स्वार्थ योगदानों को सम्मानित करने के लिए उनका चयन अत्यंत बारीकी से किया गया है। उन्होंने कहा कि आज हमने ऐसे चार असाधारण तथा नि:स्वार्थ व्यक्तियों को सम्मानित किया है जिन्होंने समाज के कल्याण के लिए खुद को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि वे पुरस्कार विजेताओं के प्रति, उनकी नि:स्वार्थ सेवा के लिए हार्दिक प्रशंसा व्यक्त करना चाहेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने मूल सभ्यतागत मूल्यों तथा गांधी जी द्वारा समर्थित मूल्यों, यथा, मातृभूमि से प्रेम, महिलाओं के प्रति सम्मान, करुणा, अनुशासन, सहिष्णुता आदि को नहीं भुलाना चाहिए।
जमनालाल बजाज फाउंडेशन प्रतिवर्ष चार पुरस्कार प्रदान करता है, जिनमें से चौथा पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है। इस वर्ष रचनात्मक कार्य के क्षेत्र में असाधारण योगदान के लिए पुरस्कार श्री जी.वी. सुब्बाराव को, ग्रामीण विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के लिए पुरस्कार, श्रीमती स्नेहलता नाथ को, महिलाओं और बच्चों के विकास तथा कल्याण के लिए पुरस्कार, श्रीमती विद्या दास को तथा भारत से बाहर गांधीवादी मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, श्री जीन-मेरी मूलर को प्रदान किया गया है।
यह विज्ञप्ति 2245 बजे जारी की गई।