भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (15 दिसम्बर, 2012) नई दिल्ली में पीएच.डी. वाणिज्य और उद्योग चैम्बर द्वारा आयोजित उत्तर भारत के मुख्यमंत्रियों की संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे राष्ट्र के लिए प्रस्तावित उच्च आर्थिक विकास का तब तक कोई फायदा नहीं होगा, जब तक इसके पूरे लाभ समाज के सबसे गरीब तबके तक न पहुंच जाएं। हमारी 30 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है और 26 प्रतिशत आबादी निरक्षर है। इसलिए समावेशिता को एक नारा ही नहीं बल्कि अत्यावश्यक लक्ष्य बनाना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले दशक के कई वर्षों के दौरान, भारत द्वारा विकास के धीमेपन को तेज करके 8 से 9 प्रतिशत करने को एक सामूहिक चुनौती के रूप में लेना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि विनिर्माण, क्षेत्र देश में नौकरियां पैदा करने का एक अहम साधन है। इसलिए, इस क्षेत्र का विकास न केवल अर्थव्यवस्था के समग्र विकास के लिए बल्कि रोजगार बढ़ाने के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए भी जरूरी है।
यह विज्ञप्ति 1245 बजे जारी की गई