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राष्ट्रपति ने कहा समय आ गया है कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली खुद में बड़ा बदलाव लाए और भारत को इसकी स्वास्थ्य सेवा संबंधी जरूरतों में आत्मनिर्भरता प्रदान करे

विज्ञान भवन : 16.01.2013

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (16 जनवरी, 2013) ‘असाध्य रोगों का उपचार—नवान्वेषणों का आदान-प्रदान’ पर आयोजित 10वें ज्ञान सहस्राब्दि शिखर सम्मेलन का विज्ञान भवन, नई दिल्ली में उद्घाटन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि समय आ गया है कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली खुद में बड़ा बदलाव लाए और भारत को इसकी स्वास्थ्य सेवा संबंधी जरूरतों में आत्मनिर्भरता प्रदान करे।

राष्ट्रपति ने कहा कि यद्यपि भारतीय स्वास्थ्य सेवा सेक्टर को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है परंतु अवसर भी इतने ही प्रभावी हैं। जो कंपनियां भारतीय स्वास्थ्य सेवा सेक्टर को आधा भरा हुआ गिलास मानती हैं उनके लिए बहुत अवसर हैं क्योंकि ऑटोमेसन, सर्जिकल रोबोटिन्स, मोड्यूलर आपरेटिंग थियेटर, मिनिकल एक्सेस सर्जरी सिस्टम, टेलीमेडिसिन, रेडियोलोजी आदि अद्यतन प्रौद्योगिकियों के लिए भारत दुनियाभर के कुछ भी स्थानों में से एक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जन स्वास्थ्य प्रणाली का देश भर में बड़े पैमाने पर विस्तार किया जाना चाहिए तथा उसे सशक्त किया जाना चाहिए। हमें स्वास्थ्य सेवाओं को परिवारों के घरों के और नजदीक ले जाने की जरूरत है। हमें केंद्र और राज्यों के स्वास्थ्य विभागों में त्वरित प्रबंधकीय तथा प्रशासनिक सुधारों को लाने की जरूरत है। हमें बढ़ती हुई शहरी जनसंख्या के लिए स्वास्थ्य सेवा के कारगर मॉडल विकसित करने होंगे और यह भी ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा संबंधी जरूरतों को नजरअंदाज न किया जाए। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली की जड़ें मजबूत, संवेदनात्मक तथा कारगर होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने वर्ष 2004 में रसायन के लिए नोबल पुरस्कार विजेता, प्रोफेसर एरोन सिसेनोबर को सहस्राब्दि पुरस्कार प्रदान किया।

यह विज्ञप्ति 1320 बजे जारी की गई