भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज कोलकाता मं कहा कि मनुष्य के अशांत और उतार-चढ़ाव युक्त इतिहास को सदैव चैतन्य महाप्रभु जैसे दैवीय व्यक्तियों के हस्तक्षेप से दिशा प्राप्त हुई है जिससे बहुत से शासक मानव की सेवा के लिए संत बन गए। ईसा मसीह, भगवान बुद्ध, पैगम्बर मुहम्मद, गुरु नानक तथा श्री चैतन्य महाप्रभु सभी ने कठिन समय में विश्व बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया, जब भी मानवता को उनकी बहुत जरूरत थी। वह गौडीय मठ, कोलकाता में चैतन्य महाप्रभु संग्रहालय की आधारशिला समारोह में बोल रहे थे।
राष्ट्रपति ने समाज का आह्वान किया कि वह चैतन्य महाप्रभु के दर्शन से निरंतर-शिक्षा ग्रहण करें तथा सभी के कल्याण और खुशहाली का मार्ग प्रशस्त करें। श्री चैतन्य केवल एक धार्मिक उपदेशक अथवा सुधारक नहीं थे बल्कि एक क्रांतिकारी थे। उन्होंने यह महसूस किया था कि सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के लिए कोई भी परंपरागत मार्ग पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने सबसे पहले मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने पर जोर दिया, उनका प्रभाव बहुत गहरा था तथा यह केवल सामाजिक जीवन तक सीमित नहीं रहा बल्कि इसने कला, साहित्य, दर्शन, संगीत, नृत्य आदि पर भी गहरा प्रभाव डाला।
राष्ट्रपति ने संग्रहालय की आधारशिला रखते हुए इस परियोजना को चैतन्य महाप्रभु की 525वीं वर्षगांठ के अवसर पर जारी समारोह का एक उचित अंग बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह संग्रहालय न केवल बहुमूल्य कलाकृतियों, पांडुलिपियों आदि का संरक्षण करेगा, जो अन्य जनता को आकर्षित करेगा बल्कि यह विद्वानों, शोधकर्ताओं तथा विद्यार्थियों के लिए अनुसंधान के नए अवसर भी खोलेगा।
यह विज्ञप्ति 1615 बजे जारी की गई।