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भारत के राष्ट्रपति ने कहा, आध्यात्मिक आयामों से पुन: जुड़ें

राष्ट्रपति भवन : 16.11.2014

भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (16 नवम्बर, 2014) वृंदावन में इस्कॉन द्वारा स्थापित किए जा रहे चन्द्रोदय मंदिर में अनंत स्थापना पूजा में भाग लिया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत विश्व की प्राचीनतम और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध सभ्यताओं में से है। अब जब हम एक विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं हमारे सामाजिक-आर्थिक और नैतिक ताने-बाने पर अत्यंत दबाव पड़ेगा। अत: यह अत्यावश्यक है कि हम अपने आध्यात्मिक आयामों से पुन: जुड़ें। इस कार्य के लिए सार्वभौमिक प्रेम और मानवता का भगवद गीता का संदेश प्रसारित करने से अधिक बेहतर अन्य कोई तरीका नहीं हो सकता है।

राष्ट्रपति ने विश्व भर में भगवान कृष्ण के कालजयी उपदेशों के उल्लेख और प्रचार-प्रसार के प्रयासों के लिए इस्कॉन की बधाई दी। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि वृंदावन चंद्रोदय मंदिर सरल और तार्किक विधि से भगवद् गीता और श्रीमद् भागवतम् के दार्शनिक संदेश का प्रसार करने का प्रयत्न करेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान समाज के रूप में यह संदेश हमारे लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है। एक राष्ट्र के रूप में विकासात्मक सोपान पर आगे बढ़ने के दौरान, यह अत्यावश्यक है कि हमारी सभ्यता का आधार, हमारी आध्यात्मिक बुनियाद, सदैव के समान अक्षुण और सशक्त रहे।

राष्ट्रपति ने कहा कि श्रीमद् भागवतम् में आध्यात्मिकता के चार स्तंभों, सत्य, करुणा, आत्मसंयम और शुचिता की व्याख्या की गई है। सभ्य समाज इन मूल्यों के दायरे के अंतर्गत विद्यमान और सक्रिय है। भगवान कृष्ण ने भगवद् गीता की अमर शिक्षाओं के माध्यम से अनेक सहस्राब्दियों के लिए भारत के बौद्धिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मानस को स्वरूप प्रदान किया है। इसलिए यह उपयुक्त है कि वृंदावन आध्यात्मिक ज्ञान का एक ऐसा विश्व विख्यात केंद्र बनने का प्रयत्न करे, जहां से दिव्यता और शांति का संदेश सम्पूर्ण मानव जगत में गूंजे।

 

यह विज्ञप्ति 1400 बजे जारी की गई।