राष्ट्रपति ने हैदराबाद में आज (17 जनवरी, 2013) एशिया प्रशांत नेत्र-विज्ञान अकादमी की 28वीं कांग्रेस का उद्घाटन किया
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जैसा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के विजन 2020 दस्तावेज में उल्लेख है, अंधता की समस्या का निवारण केवल अधिक राजनीतिक प्रतिबद्धता, पेशेवर प्रतिबद्धता, उच्च गुणवत्तायुक्त नेत्र देखभाल, अधिक जन जागरूकता तथा गैर सरकारी संगठनों और निजी सेक्टर के सहयोग से ही संभव है। निजी सेक्टर की कंपनियों और सरकारी संस्थानों को अंधता तथा नेत्र विकारों का सामना करने के लिए आपस में सहयोग करना चाहिए। निजी सेक्टर की कंपनियों को इसे भार नहीं समझना चाहिए बल्कि इसे अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने का साधन मानना चाहिए। यदि इन्डियन मेडिकल एसोसियेशन जैसी स्थानीय मेडिकल एसोसियेशन गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर शहरों और जिलों में इस पहल को शुरू करें तो इससे बहुत फर्क पड़ेगा।
राष्ट्रपति ने सभा में उपस्थित प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे अपनी सफलता का आकलन आर्थिक समृद्धि से न करें बल्कि इससे करें कि उन्होंने कितने लोगों को अंधा होने से बचाया अथवा कितने दृष्टिहीनों को दृष्टि प्रदान की।
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस कांग्रेस द्वारा जरूरतमंद लोगों को और अधिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उपाय ढूंढ़े जाएंगे। उन्होंने यह भी उम्मीद व्यक्त की कि तकनीकी सत्रों से ज्ञान आदान-प्रदान तथा सूचना के प्रचार-प्रसार के लिए जरूरी मंच उपलब्ध कराएगा।
यह विज्ञप्ति 1930 बजे जारी की गई