कोरिया गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति पार्क गियून हई ने कल (16 जनवरी, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की। राष्ट्रपति ने बैठक के बाद उनके सम्मान में राज-भोज का भी आयोजन किया।
कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को प्रसन्नता है कि वह अपने राष्ट्रपतिकाल के प्रथम वर्ष में भारत की यात्रा कर रही हैं। भारत सरकार, भारत-कोरिया संबंधों में बदलाव से प्रसन्न है। भारत और कोरिया गणराज्य के बीच दोनों देशों के एक जैसे राष्ट्रीय हितों पर आधारित बहुत से क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों की समानता बढ़ रही है। आर्थिक आदान-प्रदान, भारत और कोरिया गणराज्य के बीच कार्यनीतिक साझीदारी का आधार है। भारत दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए कोरिया गणराज्य के साथ कार्य करने के लिए तत्पर है। भारत चाहेगा कि भारतीय आधारभूत ढांचे में कोरियाई निवेश और अधिक हो।
अपने राज-भोज अभिभाषण में, राष्ट्रपति ने कहा कि यह संतोष का विषय है कि राष्ट्रपति की राजकीय यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब हमारे दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों का चालीसवां वर्ष मना रहे हैं। भारत, कोरिया गणराज्य को आधुनिक समय में एक सबसे प्रगतिशील राष्ट्र के रूप में देखता है। मेहनतकश कोरियाई लोग सभी प्रतिकूल परिस्थितियों पर विजय पाते हुए युद्ध से हुए विनाश से ऊपर उठकर अपनी शानदार आर्थिक क्षमता को साकार करने में सफल हुए हैं। आज कोरिया गणराज्य एशिया की चौथी विशालतम अर्थव्यवस्था है। एक मित्र और साझीदार के रूप में, भारत कामना करता है कि कोरियाई जनता ‘हान नदी पर दूसरे आर्थिक कारनामे’ की प्राप्ति के अपने प्रयासों में सफल हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रमुख कोरियाई कंपनियों के नाम भारत में घर-घर में जाने जाते हैं। इसी प्रकार भारतीय कंपनियां और बैंक कोरियाई गणतंत्र में अच्छे परिणामों के साथ निवेश कर रहे हैं। भारत में कोरियाई उपक्रमों की उपस्थिति तथा प्रगति को भारत महत्त्वपूर्ण मानता है। भारत, दोनों देशों के बीच हाल ही में बढ़ते सांस्कृतिक, अकादमिक तथा लोगों के बीच दूसरे प्रकार के आदान-प्रदान को देखकर भी प्रसन्न है। भारत और कोरिया के बीच सम्बन्धों को और मजबूत बनाने के लिए आपसी सद्भाव से लाभ उठाने और साझीदारी को बढ़ाने के लिए, भारत तत्पर है।
यह विज्ञप्ति 1130 बजे जारी की गई।