भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (17 अप्रैल, 2015) छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर के चतुर्थ वार्षिक दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों को नवीन चुनौतियों के लिए गतिशील तथा क्रियाशील होना चाहिए। उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए अपनी प्रमुख दक्षताओं को विकसित करना चाहिए। उन्हें और अधिक विद्यार्थियों के लिए क्षमता का विस्तार करना चाहिए तथा इसी के साथ पढ़ाई की गुणवत्ता को बनाए रखना चाहिए। उन्हें विचारों के आदान-प्रदान के लिए ई-क्लासरूम तथा ज्ञान जैसे प्रौद्योगिकी साधनों तथा व्याख्यान तथा ट्यूटोरियल जैसे बौद्धिक संसाधनों को उपयोग में लाना होगा। उन्होंने कहा कि हमें देश में प्रबंधन अनुसंधान संस्कृति के विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्य करना होगा जिसके लिए भारतीय प्रबंध संस्थानों को विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों से सहयोग करने की जरूरत है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थानों तथा उद्योग को एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हुए संयुक्त अनुसंधान, पाठ्यचर्या विकास,ज्ञानपीठों, उष्मा केंद्रों तथा अनुसंधान पार्कों की स्थापना से परस्पर लाभ उठाना होगा। भारतीय प्रबंध संस्थानों को समग्र विकास हेतु तथा हमारे समाज, समुदाय तथा समग्र राष्ट्र को प्रभावित करने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए और अधिक जिम्मेदारी उठानी होगी। भारतीय प्रबंध संस्थानों को संघ और राज्य सरकारों के सामने मौजूद नीति तथा परियोजना कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियों के लिए परामर्श प्रदान करना चाहिए। भारतीय प्रबंध संस्थानों के स्नातकों को राज्य की जनता के लिए प्रासंगिक परियोजनाओं को हाथ में लेना चाहिए तथा ऐसी कंपनियों और निगमों को शुरू करने की कोशिश करनी चाहिए जो उस क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान देंगे।
राष्ट्रपति जी ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर शिक्षण, ज्ञान प्राप्ति तथा मानव संसाधन विकास में उत्कृष्टता के अपने उद्देश्यों के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि नया रायपुर में स्थापित नवीन अधुनातन परिसर किसी भी विश्व स्तरीय संस्थान के बराबर सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। भारत को नवीन ऊर्जा प्रदान करने के व्यवस्थित तथा दृढ़ प्रयास स्वच्छ जो भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर जैसे प्रमुख संस्थानों के विचारों और कल्पनाओं के द्वारा प्रेरित हों, तथा समर्थ भारत के गांधी जी के स्वप्न को साकार करने में सहायता दे सकते हैं। उन्होंने भारतीय प्रबंध संस्थान, रायपुर के विद्यार्थी समुदाय का आह्वान किया कि वे सदैव यह बात याद रखें कि जो शानदार शिक्षा उन्होंने पाई है, वह राष्ट्र राज्य तथा समुदाय का योगदान है। इसके बदले विद्यार्थियों को न केवल अपने और अपने परिवारों के प्रति वरन् इस देश तथा समग्र समुदाय के प्रति भी एक जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जिन विद्यार्थियों को आज उपाधि मिली है, वे सार्थक रूप से राष्ट्र निर्माण में योगदान देंगे।
यह विज्ञप्ति 1750 बजे जारी की गई।