भारत के राष्ट्रपति,श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (17 जून, 2016) विंड होक नामिबिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय को संबोधित किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारत नामिबिया के साथ साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है क्योंकि नामिबिया सरकार के विजयन 20-30 और हरांबी प्रोस्पेरिटी प्लान में नामीबिया के लोग उनके विकासात्मक लक्ष्यों और राष्ट्रीय आकांक्षाओं का अनुसरण करते हैं। उन्होंने कहा कि अक्तूबर, 2015 में दिल्ली में भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन के अंत में भारत ने घोषणा की कि पांच वर्षों- 2015 से 2020 तक अफ्रीकी भागीदारों के कुल 50,000 छात्रवृत्तियों/फैलोशिप उपलब्ध कराए जाएंगे। भारत में उनकी रुचि के अत्याधुनिक अनुसंधान कार्य के लिए नामिबियाई अनुसंधानकर्ताओं के लिए वार्षिक रूप से सी वी रमन फैलोशिप के छः महीन के लिए आठ स्लाट्स उपलब्ध हैं। उन्होंने नामिबियाई छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं को भारत के साथ अनुसंधान और नवोन्वेष सहयोग विकसित करने के लिए इस अवसर का उपयोग करने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहा कि अब तक भारत में आईटेक प्रोग्राम के अंतर्गत एक हजार नामिबियाई नागरिकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। विभिन्न नीति निर्धारणों में नामिबिया सरकार की सहायता के लिए भारतीय विशेषज्ञ- सरकारी और निजी-तैनात किए गए हैं। उन्होंने सूचित किया कि नामिबिया में आईटी में श्रेष्ठता का एक केंद्र का गठन किया गया है जो नामिबियाई आईसीटी छात्रों और व्यवसायिकों के क्षमता और कौशल स्तर के संवर्द्धन में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैज्ञानिक जांच पड़ताल मानव बुद्धि के अत्यधिक रचनात्मक आवेगों में से एक है। यह मूलभूत प्रश्नों के उत्तर ढूंढती है और मानव जाति के विकास में प्रमुख भूमिका निभाती है। आधुनिक समाज और देश अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के परिणामों से निर्मित हुए हैं। उन्होंने यह विश्वास जताया कि नामिबिया विश्वविद्यालय के विज्ञान और प्रोद्योगिकी के छात्र उस दिन की ओर देख रहे हैं जब वे भी नामिबिया के नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी विकास के प्रकंपित नए क्षेत्र में अपना गौरवपूर्ण योगदान देंगे।
यह विज्ञप्ति 2040 बजे जारी की गई।