भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (17 जून, 2017) सैन्य इंजीनियरी कॉलेज के इंजीनियरी स्नातक पाठ्यक्रमों के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।
इंजीनियरी स्नातकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जैसा कि उन्हें विदित है, ज्ञान वर्तमान शताब्दी में विश्व की उभरती हुई मुद्रा है। उन्हें इस उत्कृष्ट सैन्य इंजीनियरी संस्थान में प्राप्त तकनीकी ज्ञान का पूरा प्रयोग करना चाहिए। वे पेशेवर रूप से कुशल बनकर तथा नवीनतम उन्नति की जानकारी प्राप्त करके अपने सभी प्रयासों में सफल हो सकते हैं इसलिए आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए श्रेष्ठ प्रकार से अनुकूल अग्रणी प्रोद्योगिकियों का प्रयोग करना समय की पुकार है। उन्हें विश्वास जताया कि जो तकनीकी ज्ञान उन्होंने प्राप्त किया है उनसे वे बेहतर प्रगति करेंगे। चुनौती स्वीकार करने के अपने उत्साह से वे असाधारण लक्ष्य प्राप्त करने में सशक्त बन पाएंगे।
राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कॉलेज अगले वर्ष अपनी प्लेटिनम जुबली मनाएगा। उन्होंने कहा कि कॉलेज के इन उल्लेखनीय 75 वर्षों ने राष्ट्र सेवा में एक अमिट छाप छोड़ी है। सैन्य इंजीनियरी कॉलेज से उत्तीर्ण कार्मिकों ने अभियानों और शांति के दौरान अपनी योग्यता सिद्ध की है। यह संकाय द्वारा यह सुनिश्चित करने के अथक प्रयासों के कारण संभव हुआ है कि संस्थान ने बदलती हुई सुरक्षा परिस्थितियों और प्रौद्योगिकी उन्नति के साथ सामंजस्य बना रखा था।
राष्ट्रपति ने कहा कि तेजी से बदलते हुए वातावरण में एक तत्व है जो नहीं बदला है, वह है समूचे राष्ट्र द्वारा सशस्त्र सेनाओं में व्यक्त विश्वास। भारतीय सेना के इंजीनियरों ने पारंपरिक रूप से प्रतिष्ठित राष्ट्रीय परियोजनाओं चाहे वह सियाचीन में तेल पाइपलाइन हो या प्रतिष्ठित नौ सेना के ठिकाने हों या उत्तर और पूर्वोत्तर के हवाई क्षेत्र हों अथवा हिमालय की पर्वतमालाओं में सड़क का निर्माण हो, अपनी छाप छोड़ी। उन्हें विश्वास व्यक्त किया कि उनमें से हर एक अपने विख्यात पूर्ववर्तियों के पदचिह्नों का अनुकरण करेंगे और अपेक्षित उच्च मानदंडों पर खरा उतरेंगे।
यह विज्ञप्ति 1625 बजे जारी की गई।