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नवान्वेषण विद्वानों ने राष्ट्रपति जी से भेंट की

राष्ट्रपति भवन : 17.07.2014

राष्ट्रपति भवन की प्रथम नवान्वेषण आवासी विद्वान स्कीम के प्रतिभागी पांच नवान्वेषी विद्वानों ने आज (17 जुलाई, 2014) को राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने इस स्कीम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए नवान्वेषकों को ऐसे उत्पाद तैयार करने पर बधाई दी जिनका वृहत सामाजिक उपयोग है। उन्होंने कहा कि समाज के जमीनी नवान्वेषकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 120 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के समक्ष ऐसी बहुत सी समस्याएं हैं जिनके नवान्वेषी समाधानों की जरूरत है। राष्ट्रपति भवन ने नवान्वेषकों को अपने विचारों और उत्पादों को परिष्कृत करने का मंच उपलब्ध कराया है। यह उनके भावी प्रयासों में सुविधा प्रदान करता रहेगा। नवान्वेषकों को इस अनुभव को तथा यहां प्राप्त विचारों को न केवल मौजूदा उत्पादों को परिष्कृत करने में उपयोग करना चाहिए वरन् उन्हें समाज द्वारा महसूस की जा रही समस्याओं के नए समाधान भी ढूंढ़ने चाहिए।

इन पांच नवान्वेषकों ने राष्ट्रपति को बताया कि उनका यह अनुभव सपनों के सच हो जाने के समान था। उन्हें यह विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उन्हें राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के अतिथि के रूप में रहने का अवसर मिलेगा। उनको प्रदान किया गया यह अवसर इस बात का प्रतीक है कि राष्ट्रपति जी देश के जमीनी नवान्वेषकों को कितना सम्मान तथा सहयोग देते हैं। इससे भारत और विश्व दोनों ही स्थानों पर एक सकारात्मक संदेश गया है।

राष्ट्रपति भवन में ठहरे नवान्वेषकों में राजस्थान के एक किसान श्री गुरमेल सिंह ढोंसी थे जिन्होंने रेपिड कम्पोस्ट एयरेटर का अविष्कार किया है; हरियाणा के श्री धर्मवीर काम्बोज थे जो 27 वर्ष पहले दिल्ली में एक रिक्शा चालक रहे और जिन्होंने एक बहु उद्देशीय खाद्य प्रसंस्करण मशीन का आविष्कार किया, एस.आर.एम. विश्वविद्यालय की ऑटोमोबाइल इंजीनियरी की अंतिम वर्ष की छात्रा सुश्री मनीषा मोहन थी, जिन्होंने एक अन्त:वस्त्र का निर्माण किया जिसका लक्ष्य हमलावर को 3800 किलोवाट का झटका देकर हमले से महिलाओं की रक्षा करना है; बेंगलूरु के नेहरू उच्च वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र के एक पीएचडी विद्यार्थी श्री एम.वी. अविनाश थे, जिन्होंने सेल्फ-क्लीनिंग फंक्शनल मोलेक्यूलर मेटीरियल का अविष्कार किया है तथा 16 वर्ष के टेनिथ आदित्य, जिन्होंने बिना किसी रसायन के प्रयोग के दो वर्षों तक केले के पत्ते संरक्षित रखने की प्रौद्योगिकी ईजाद की है।

यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।