भारतीय राजस्व सेवा के 67वें बैच के 141 अधिकारी प्रशिक्षणार्थियों के एक समूह ने कल (16 जुलाई, 2014) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने कहा कि इस विभाग से उनका संबंध 70 के दशक से रहा है। इन वर्षों के दौरान उन्होंने देखा है कि करों की मात्रा और किस्मों में अत्यधिक विस्तार हुआ है। जुलाई, 1860 में जब भारत में आयकर की शुरुआत हुई तो 1860-61 में प्रत्यक्ष कर का संग्रहण 30
लाख रुपये था। इस वित्तीय वर्ष में, प्रत्यक्ष कर संग्रहण 7.36 लाख करोड़ रुपये पार करने जा रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अनेक वित्त मंत्रियों ने विभिन्न स्तरों पर इस देश के कर प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिए कर संग्रह और कर सुधारों के नवान्वेषी विचार कार्यान्वित किए हैं। वैश्वीकरण और आर्थिक एकीकरण के परिणामस्वरूप नई चुनौतियां उभरी हैं। उन्होंने परिवीक्षाधीनों
से कहा कि आने वाले वर्षों में, उन्हें एक समेकित विश्व अर्थव्यवस्था से उत्पन्न जटिल मुद्दों से निपटना होगा। कर प्रशासन की उभरती हुई चुनौतियों का मुकाबला दक्षता, नवान्वेषण और नए विचारों तथा प्रौद्योगिकी को अपनाने कर सकता है। उन्होंने परिवीक्षाधीनों को भावी आजीविका
के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि उत्साह और नवान्वेषी विचारशीलता के द्वारा युवा भारतीय राजस्व अधिकारी तेजी से बदल रहे राष्ट्रीय और वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप बदलाव ला सकते हैं।
ये अधिकारी प्रशिक्षणार्थी वर्तमान में राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी, नागपुर में सोलह महीनों का प्रवेश प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इस समूह में 38 महिला अधिकारी शामिल हैं।
यह विज्ञप्ति 1130 बजे जारी की गई।