राष्ट्रपति जी ने आज (18 जनवरी, 2013) स्वामी जी के अपने जन्मस्थान पर रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन द्वारा उनके 150वें जन्मजयंती समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने कहा कि स्वमा विवेकानंद के संदेश और उनके उपदेश तब भी प्रासंगिक थे, आज भी प्रासंगिक हैं तथा तब तक प्रासंगिक बने रहेंगे जब तक मानवीय सभ्यता अस्तित्व में रहेगी। उन्होंने स्वामी जी को बंगाल का महान सपूत और एक महान दूरद्रष्टा बताया। उन्होंने कहा कि महान इतिहासकार ए एल बासम ने विवेकानंद को एक ऐसा व्यक्ति बताया जो कई सदियों में अवतरित होता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि छोटे से जीवन में ही उन्होंने उस समाज को रूपांतरित कर दिया जो खुद में भरोसा खो चुका था। उनके दर्शन ने हर किसी को बुरी तरह झकझोर दिया और एक निराश राष्ट्र में विश्वास बहाल कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हमारे लोगों का आत्मविश्वास बहुत नीचे था और बहुत से भारतीय अपने आदर्शों और पथप्रदर्शकों के लिए पश्चिम की ओर देखते थे स्वामी विवेकानंद ने उनमें आत्मविश्वास और गर्व की भावना भर दी। राष्ट्रपति ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘‘भूतकाल में विश्वास तथा भारत के गौरव पर गर्व से युक्त विवेकानंद जीवन की समस्याओं के विषय में अपने नजरएि में आधुनिक थे तथा भारत के भूतकाल और उसके वर्तमान के बीच एक तरह से पुल के समान थे।’’
यह विज्ञप्ति 1225 बजे जारी की गई