इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, मोहाली के जन नीति प्रबंधन कार्यक्रम की स्थापना कक्षा के प्रतिभागियों ने आज (18 अप्रैल, 2016) राष्ट्रपति भवन में भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी से भेंट की।
पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा वर्तमान में हमारे आसपास हो रहे बदलावों की मात्रा और गति अभूतपूर्व है तथा उसी प्रकार चुनौतियां भी हैं। विश्व के गतिशील स्वरूप के लिए उपयुक्त जन नीतियां अपनाने और विकसित करने की आवश्यकता है। आज जन नीति के बारे में जो साहित्य पढ़ा जा रहा है वह कुछ वर्ष में बदल जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञों को कौशल और ज्ञान में निरंतर उन्नयन करना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस ने वैश्विक रूप से स्पर्द्धात्मक शैक्षिक संस्थान के तौर पर निरंतर बदलाव की इन चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें सशक्त बना दिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि,जन नीति पर चाणक्य का ग्रंथ सदैव लोकवित्त, शहरी शासन, सुरक्षा और कूटनीति के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक शक्ति रहा है। जन नीति अध्ययन का एक ऐसा क्षेत्र है जो राष्ट्र निर्माण के हमारे अनवरत कार्य के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मानव क्षमता राष्ट्रों के उत्थान में एक प्रमुख निर्धारक तत्व रही है। आज भी राष्ट्रों के बीच दौड़ अत्यधिक संसाधन वाले नहीं जीतते हैं बल्कि वो जीतते हैं जिनमें राष्ट्र निर्माण के इन संसाधनों के सबसे प्रभावी प्रयोग करने की क्षमता है। यह क्षमता सीधे तौर पर प्रभावी जननीतियों के निर्माण तथा इन नीतियों को सार्थक रूप से कार्यान्वित करने की योग्यता से संबंधित है। खराब कार्यान्वयन वाली एक अच्छी जन नीति का समाज और राष्ट्र के लिए कोई महत्व और मूल्य नहीं है। राष्ट्रपति ने निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र के पेशेवरों को एक दूसरे से तथा अपने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संकाय से सीखने के लिए एकजुट करके एक बढ़िया शुरुआत के लिए इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस की सराहना की।
यह विज्ञप्ति 1545 बजे जारी की गई।