भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 मई, 2017) कोलकाता, पश्चिम बंगाल में प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्याय से ‘मैटाफिजिक्स, मोराल्स एंड पॉलिटिक्स’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त की।
इस अवसर पर] राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें प्रोफेसर अमल कुमार मुखोपाध्याय से ‘मैटाफिजिक्स, मोराल्स एंड पॉलिटिक्स’ पुस्तक की प्रथम प्रति प्राप्त करके खुशी हुई है। उन्होंने उन्हें एक घनिष्ठ मित्र और प्रतिभावान विद्वान बताया और कहा कि भावी पीढ़ी प्रोफेसर अमल मुखोपाध्याय की प्रतिभा को याद रखेगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि 1961 में पश्चिम बंगाल सरकार के राज्य विद्वान के रूप में प्रोफेसर मुखोपाध्याय ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शोध विद्वान के रूप में प्रवेश लिया तथा 19वीं शताब्दी के अंग्रेजी के आदर्शवादी दार्शनिक टी. एच. ग्रीन पर अपना पीएचडी शोध आरंभ किया। 1965 में अपने शोध पत्र के आधार पर प्रोफेसर मुखोपाध्याय को लंदन विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। उनका शोधपत्र ‘द एथिक्स ऑफ ओबेडिएंस’ नामक पुस्तक में प्रकाशित हुआ। बाद में उन्हें अपने कुछ पूर्व तर्कों का प्रतिवाद करते हुए विरोधाभास और विस्तार करते हुए मूल शोधपत्र प्रकाशित किया। अब यह पुस्तक नए शीर्षक ‘मैटाफिजिक्स, मोराल्स एंड पॉलिटिक्स’ के नाम से आया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि नैतिकता विहीन राजनीति राजनीति नहीं है। उनके अनुसार, संचार के क्षेत्र में इंटरनेट, मोबाइल फोन और प्रौद्योगिक क्रांति के कारण विगत शताब्दी के उतरार्द्ध में व्यापक बदलाव आए हैं। बहुत सी पुरानी संकल्पनाएं तेजी से बदल रही हैं। उन्होंने आधुनिक विश्व में ग्रीन के विचारों की अत्यधिक प्रासंगिकता की स्थापना के लिए प्रोफेसर मुखोपाध्याय की सराहना की।
यह विज्ञप्ति 2045 बजे जारी की गई।