भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 जुलाई, 2014) कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, त्रिवेंद्रम के प्लेटिनम जयंती समारोहों का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि भारत खुद को विश्व में अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए उच्च विकास कार्यनीति पर चल रहा है। इसके लिए ज्ञानजीवी सेक्टरों से महत्त्वपूर्ण सहयोग अपेक्षित है। अर्थव्यवस्था के लिए कुशल कार्मिक तैयार करने वाला
एक महत्त्वपूर्ण अकादमिक शाखा, इंजीनियरी है। यह अध्ययन का वह क्षेत्र है जो हमारे विकासात्मक लक्ष्यों को पूर्ण करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसलिए हमारे इंजीनियरी कॉलेजों पर ऐसे अत्यंत दक्ष इंजीनियरों और वैज्ञानिकों को तैयार करने का महत्त्वपूर्ण दायित्व है जो
इस पेशे तथा देश के लिए महत्त्वपूर्ण पूंजी बन सकें।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्थानों को मात्र शिक्षण संस्थान बनने के बजाय ज्ञान सर्जन करने वाले संस्थान बनने की दिशा में विकसित होना चाहिए। इसके लिए संस्थागत सहयोग व्यवस्था के जरिए अनुसंधान प्रयासों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। किसी भी संस्थान की अनुसंधान गतिविधियों
को उस क्षेत्र के लिए विशिष्ट मुद्दों और समस्याओं पर केंद्रित किया जाना चाहिए। अनुसंधान में मौजूद संसाधनों के उपयोग में बेहतर दक्षता प्राप्त करने के तरीके खोजने का प्रयास होना चाहिए। इंजीनियरी संस्थान नवान्वेषण की उपजाऊ भूमि हैं। उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी
तथा नवान्वेषण नीति 2013 को सफल बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्हें जमीनी नवान्वेषकों को अपने विचारों को ऐसे उपयोगी उत्पादों में विकसित करने के लिए प्रेरणा देनी चाहिए जो आम आदमी को फायदा पहुंचाएं। कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, त्रिवेंद्रम से उपाधि प्राप्त करने
वाले तीस प्रतिशत विद्यार्थी उच्च अध्ययन तथा अनुसंधान कार्यक्रमों में दाखिला लेते हैं, यह तथ्य दर्शाता है कि यह संस्थान अपने विद्यार्थियों में अनुसंधान के प्रति कितनी रुचि जाग्रत करने में सफल रहा है। यह जानकर खुशी होती है कि कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, त्रिवेंद्रम
के संकाय सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत शोध आलेखों को उनकी अकादमिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता है।
यह विज्ञप्ति 2100 बजे जारी की गई।