भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 जुलाई, 2014) कासरगोड में केरल के केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले दीक्षांत समारोह में भाग लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सफलता गरीबी, अभाव तथा पिछड़ेपन की अभिशापों के विरुद्ध लड़ाई में सभी सकारात्मक ताकतों को एकजुट करने में निहित है। यहां मौजूद विद्यार्थी को उच्च शिक्षा उपलब्ध होने के कारण सौभाग्यशाली हैं। उनकी सफलता परिवर्तन
के कारक बनने में और लोगों की कठिनाइयों और कष्टों को कम करने में उत्प्रेरक बनने में निहित है। राष्ट्रपति ने कहा कि ‘‘व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा होना अच्छी बात है। परंतु जीवन का उद्देश्य ‘इसी से शुरू इसी में खत्म’ नहीं होना चाहिए। अपने-अपने निजी लक्ष्यों के लिए
प्रयास करते हुए सदैव बड़ी तस्वीर को, बड़े उद्देश्य को, बड़े लाभ को ध्यान में रखें। अपने निजी उद्देश्य को और बड़े लाभ को एक एकीकृत उद्देश्य मानें, उन्हें अलग न करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि जहां विद्यार्थी इस देश का का भविष्य हैं वहीं शिक्षक इन्हें संवारते हैं। प्राचीन भारत में शिक्षक ऐसा अनुकरणीय जीवन जीते थे जो उनको प्राप्त सम्मान के योग्य था। भारत को आज ऐसे बहुत से शिक्षकों की जरूरत न केवल शिक्षण के प्रति समर्पित हों, और
अपने विद्यार्थियों के प्रति प्रतिबद्ध हों, वरन् हमारे समाज के नैतिक ताने-बाने के निर्माण की निस्वार्थ भावना से प्रेरित भी हों।
राष्ट्रपति ने इस क्षेत्र की नदी के नाम पर इस विश्वविद्यालय के परिसर का नामकरण ‘तेजस्विनी हिल्स’ के रूप में किया। कासरगोड में ‘एन्डोसल्फास’ की दुखद त्रासदी की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति ने स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड पब्लिक हैल्थ की स्थापना का स्वागत किया। उन्होंने कहा
कि स्कूल को, विशेष रूप से सामुदायिक स्वास्थ्य तथा वहनीय चिकित्सा पर जोर देते हुए, औषधियों की सभी पद्धतियों में उच्च अध्ययन एवं अनुसंधान का मंच होना चाहिए।
यह विज्ञप्ति 1700 बजे जारी की गई।