भारत के राष्ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (18 सितंबर, 2015) विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार प्रदान किए।
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति जी ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि आज पुरस्कृत इन असाधारण व्यक्तियों और संगठनों ने अपने समर्पण के माध्यम से भारत को एक पर्यटन स्थल के रूप में प्रचारित करने में एक विशेष स्थान बनाया है। उन्होंने यह उम्मीद व्यक्त की कि आज दिए गए सम्मान पर्यटन सेक्टर के सभी भागीदारों की प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान करेंगे तथा इसके प्रसार तथा वृद्धि के लिए नए उत्साह से कार्य करने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगे।
राष्ट्रपति जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति तथा जनता के पास व्यय योग्य आमदनी बढ़ने से हम आने वाले वर्षों में पर्यटकों की आमद में सकारात्मक रुझान की अपेक्षा कर सकते हैं। हमें देश में उच्च स्तरीय पर्यटन अवसंरचना के सृजन पर ध्यान केंद्रित करना होगा। स्वदेश दर्शन तथा प्रसाद नामक दो पहलों की शुरुआत से—जिनका उद्देश्य पर्यटन परिवृत्तों और दर्शनार्थी केंद्रों का समेकित विकास है—इस लक्ष्य को पाने में बहुत सहायता मिलेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम जो सुरक्षा प्रणाली तैयार करेंगे, सावधानी संबंधी उपाय स्थापित करेंगे, उनसे हमारे मेहमानों को आश्वस्त होना चाहिए ताकि वे अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा और अपने सामान की सुरक्षा के प्रति कभी चिंतित न हों।
राष्ट्रपति जी ने पर्यटन उद्योग से आग्रह किया कि वह सुविचारित ढंग से अपना निवेश इस तरह करें कि हमारे प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर को हानि पहुंचाए बिना इस सेक्टर का विकास सतत् बना रहे। उन्होंने कहा कि पर्यटकों और लाभभोगी समुदायों के बीच व्यापक सामुदायिक संपर्क से परस्पर सद्भाव, सहिष्णुता तथा जनता के बीच जागरूकता बढ़ने में बहुत सहयोग मिलता है। पर्यटन के फलस्वरूप देश तथा दुनिया भर में दूर-दराज में बसे हुए समुदायों के बीच प्रगाढ़ सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है। राष्ट्रपति जी ने कहा कि उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम मिल-जुलकर विश्व पर्यटन मानचित्र पर अपना वाजिब स्थान पा सकते हैं।
यह विज्ञप्ति 1350 बजे जारी की गई।